UN ने शेख हसीना की फांसी की सजा का किया कड़ा विरोध, महासचिव गुटेरेस बोले—मौत की सजा किसी हाल में स्वीकार नहीं

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में साफ कहा कि संयुक्त राष्ट्र हर हाल में मौत की सजा के खिलाफ है।

UN Secretary-General Guterres Strongly Protests Sheikh Hasina's Death Sentence, Rejecting Capital Punishment
UN Secretary-General Guterres Strongly Protests Sheikh Hasina's Death Sentence, Rejecting Capital Punishment

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में साफ कहा कि संयुक्त राष्ट्र हर हाल में मौत की सजा के खिलाफ है। यह सजा शेख हसीना को बांग्लादेश की एक अदालत ने उनकी अनुपस्थिति में सुनाई है, और वह वर्तमान में भारत में निर्वासन में हैं।

दुजारिक ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम हर परिस्थिति में मौत की सजा का विरोध करते हैं।” उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क के बयान का पूरा समर्थन किया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र उनकी बात से पूरी तरह सहमत है।

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने उठाए सवाल

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क के कार्यालय ने भी इस फैसले पर टिप्पणी की है। जिनेवा से जारी बयान में उनकी प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि शेख हसीना और उनके गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ आज का फैसला (सोमवार) पिछले साल बांग्लादेश में प्रदर्शनों को दबाने के दौरान हुए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण पल है। हालाँकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस मुकदमे की कार्यवाही की निगरानी संयुक्त राष्ट्र के पास नहीं थी। इसलिए, ऐसे मामलों में, खासकर जब मुकदमा अनुपस्थिति में चल रहा हो और मौत की सजा की संभावना हो, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के मानकों का पूरी तरह पालन होना चाहिए।

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) का इतिहास

इस मामले में जिस अदालत ने फैसला सुनाया है, वह ‘अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण’ (International Crimes Tribunal- ICT) कहलाती है, लेकिन यह पूरी तरह बांग्लादेशी जजों की अदालत है। इसका गठन 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए किया गया था। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद मौजूदा अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इस अदालत को फिर से सक्रिय किया, ताकि पिछले साल छात्र आंदोलनों को दबाने के दौरान कथित मानवता के खिलाफ अपराधों के मामलों में हसीना और उनके सहयोगियों पर मुकदमा चलाया जा सके।

इन्हीं घटनाओं के चलते शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। अब फांसी की सजा पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है, और संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट कर दिया है कि वह मौत की सजा के खिलाफ अपने रुख पर कायम है।

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