न्यूयॉर्क: अमेरिका ने गुरुवार, 18 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को वीटो कर दिया, जिसमें गाजा में तत्काल और स्थायी युद्धविराम की मांग की गई थी। इस कदम के साथ ही, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बार फिर इजरायल के साथ अपने संबंधों की पुष्टि की है, जबकि इजरायल ने गाजा शहर में अपने सैन्य अभियान को तेज कर दिया है।
वीटो का कारण और प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से अमेरिका को छोड़कर बाकी 14 सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। इस मसौदे में “गाजा में तत्काल और स्थायी युद्धविराम”, हमास द्वारा बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता पर लगी पाबंदियों को हटाने की मांग की गई थी।
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के उप विशेष दूत मॉर्गन ऑर्टागस ने इस वीटो का बचाव करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव हमास की निंदा करने या इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता देने में विफल रहा। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव “हमास को लाभ पहुँचाने वाले झूठे नैरेटिव को वैध बनाता है।”
इस फैसले की फिलिस्तीनी और अरब प्रतिनिधियों ने कड़ी आलोचना की है। फिलिस्तीनी दूत रियाद मंसूर ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता और अधिकार को नुकसान पहुँचा है।
वीटो शक्ति क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन) के पास वीटो की शक्ति है। यह एक ऐसा अधिकार है जिसके तहत कोई भी स्थायी सदस्य किसी भी प्रस्ताव, कानून या निर्णय को रोक सकता है। कोई भी प्रस्ताव तभी पास होता है जब सभी पाँचों स्थायी सदस्य उस पर सहमत हों और कोई भी वीटो का उपयोग न करे।
