विश्व के सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु पोप लियो 14वें ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यूरोपीय गठबंधन और यूक्रेन पर अमेरिका के रणनीतिक रवैये की आलोचना की। पोप की इस खुली टिप्पणी को अमेरिकी प्रशासन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
पोप लियो ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से कीव में मुलाकात के बाद पत्रकारों को बताया कि किसी भी शांति समझौते में यूरोप की भागीदारी अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “यूरोप को वार्ता में शामिल किए बिना शांति समझौते की कोशिश अवास्तविक है, क्योंकि युद्ध यूरोप में चल रहा है। सुरक्षा की गारंटी और भविष्य की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए यूरोप को इसमें शामिल होना चाहिए।”
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में अपनी अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी की थी, जिसमें अमेरिका-यूरोपीय गठबंधन पर सवाल उठाए गए और रूस के साथ संबंध सुधारने की प्राथमिकता पर जोर दिया गया। पोप लियो ने कहा कि यह कदम “यूरोप और अमेरिका के लंबे समय से चले आ रहे गठबंधन में बड़ा बदलाव ला सकता है।”
पोप लियो का कीव दौरा यूरोपीय समर्थन जुटाने और युद्धविराम की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इस दौरान उन्होंने रूसी अधिकारियों के कब्जे में यूक्रेनी बच्चों की सुरक्षित वापसी के लिए वेटिकन की कोशिशों पर भी प्रकाश डाला।
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया कि अमेरिका और यूरोपीय साझेदारों के साथ तीन प्रमुख दस्तावेजों पर चर्चा की जा रही है: 20 बिंदुओं का रूपरेखा दस्तावेज, सुरक्षा गारंटी वाला दस्तावेज और यूक्रेन को पुनःस्थापित करने वाला तीसरा दस्तावेज।
पोप लियो अब तक जेलेंस्की से तीन बार मिल चुके हैं और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कम से कम एक बार टेलीफोन पर बात कर चुके हैं।
