पाकिस्तान की जमीन से जारी एक वीडियो में लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी को हिंदुओं और भारत के खिलाफ उग्र बयान देते हुए देखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह क्लिप 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले से पहले का है और आरोप है कि कसूरी उसी हमले के मास्टरमाइंड में शामिल है। वीडियो सोशल प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है और सुरक्षा एजेंसियों तथा जनता में चिंता भी बढ़ा रहा है।
वीडियो में कसूरी खुलेआम कहता है कि “हमारे काफिले न रुकेंगे, न थमेंगे और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक पूरे हिंदुस्तान पर ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का परचम लहरा न देंगे।” वह आगे दावा करता है कि उनका मिशन हिंदुओं के “साफ़ाये” और इस्लाम का शासन स्थापित करना है। वीडियो में कसूरी यह भाषण कथित तौर पर लश्कर के मुरीद के हेडक्वार्टर से दे रहा है — वही स्थान जिस पर भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमले का दावा किया था। बाद में पाकिस्तानी सेना ने उस स्थान को मस्जिद बताकर लगातार खारिज किया था।
कसूरी वीडियो में पाकिस्तान की भू-राजनीति को आतंकवाद के समर्थन के लिए सराहते हुए भी दिखाई देते हैं और कहते हैं कि पाकिस्तान की जमीन का उपयोग उनके उद्देश्य के लिए आशीर्वादस्वरूप हुआ। इसके अतिरिक्त, उनसे जुड़ी एक पुरानी क्लिप में उन्होंने 17 सितंबर को भी भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी दी थी और जम्मू-कश्मीर की नदियों, बांधों व इलाकों पर नियंत्रण की साजिश का एलान किया था। उस वक्त उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पाकिस्तानी सरकार और सेना कुछ आतंकी समूहों को फिर से संगठित करने के लिए वित्त-पोषण कर रही हैं।
🚨 BIG – Exclusive & Exposed
— OsintTV 📺 (@OsintTV) September 26, 2025
In the days before the Pahalgam massacre, LeT’s alleged mastermind Saifullah Kasuri can be seen spewing venom against Indians/Hindus, openly calling for their elimination from India. He can be seen highlighting the Markaz Taiba camp as a hub for… pic.twitter.com/ZiIXKCnujD
विशेषज्ञों और सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ऐसे वीडियो न सिर्फ़ भय फैलाने का उपकरण होते हैं, बल्कि रैडिकलाइज़ेशन और फंडिंग की पड़ताल के लिए भी सुराग दे सकते हैं। वायरल क्लिप के बाद नागरिक सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पाबंदी, स्रोत-ट्रेसिंग और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी की मांग तेज़ हो गई है।
हालाँकि अभी तक वीडियो के कथित स्रोत, रिकॉर्डिंग की वास्तविक तारीख और उसमें दिये गये दावों के पीछे की पूरी सच्चाई का स्वतंत्र व आधिकारिक सत्यापन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हुआ है। ऐसे मामलों में जांच एजेंसियों की पुष्टि व आगे की कार्रवाइयाँ ही अंतिम निष्कर्ष तय करेंगी।
