Beijing on Hasina Verdict: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाए जाने के मामले में चीन ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। चीन की यह प्रतिक्रिया सज़ा सुनाए जाने के लगभग 24 घंटे बाद आई है। गौरतलब है कि शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़कर भागने से पहले अंतिम बार चीन का ही दौरा किया था, हालाँकि देश के आंतरिक हालातों की दुहाई देकर वह अपनी यात्रा बीच में ही छोड़कर ढाका वापस लौट गई थीं। अब उनकी मौत की सज़ा पर चीन ने इसे बांग्लादेश का आंतरिक मामला बताया है और इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
78 वर्षीय हसीना को सोमवार को बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने उनकी अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाई। यह सज़ा मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए दी गई थी, जो पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की हिंसक कार्रवाई से जुड़े थे। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी इसी तरह के आरोपों में मौत की सज़ा सुनाई गई है।
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में इस फैसले के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है। माओ ने आगे कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के प्रति अच्छे पड़ोसी और मित्रता की नीति के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमें पूरी उम्मीद है कि बांग्लादेश एकजुटता, स्थिरता और विकास हासिल करेगा।” हसीना पिछले साल 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश से भागने के बाद से भारत में रह रही हैं।
बांग्लादेश ने भारत से प्रत्यर्पण की मांग की
बांग्लादेश ने सोमवार को भारत से अपदस्थ शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत प्रत्यर्पित करने का आग्रह किया। यह कदम एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए उनकी अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाए जाने के कुछ ही घंटों बाद उठाया गया है। विदेश मंत्रालय ने सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस द्वारा जारी एक बयान में कहा, “हम भारत सरकार से इन दोनों दोषियों को तुरंत बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंपने का आग्रह करते हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण बांग्लादेश ने पिछले साल के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए सोमवार को हसीना और कमाल को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाई। हसीना पिछले साल 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश छोड़ने के बाद से भारत में रह रही हैं। अदालत उन्हें पहले ही भगोड़ा घोषित कर चुकी है और माना जा रहा है कि कमाल भी भारत में हैं। पिछले साल दिसंबर में, बांग्लादेश ने भारत को हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध करते हुए एक मौखिक पत्र भेजा था। भारत ने औपचारिक राजनयिक पत्र प्राप्त होने की पुष्टि की, लेकिन आगे कोई टिप्पणी नहीं की थी।
