ऋतिक रोशन को बड़ी राहत! दिल्ली हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने का दिया आदेश

जस्टिस मन्मीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान कुछ आपत्तिजनक पोस्ट्स को तुरंत हटाने का आदेश दिया। हालांकि, कुछ फैन पेजेस के खिलाफ कार्रवाई याचिकाकर्ताओं की सुनवाई के बाद ही होगी। मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च 2026 को होगी।

Hrithik Roshan Gets Court Protection: Delhi HC Orders Removal of Offensive Social Media Content
Hrithik Roshan Gets Court Protection: Delhi HC Orders Removal of Offensive Social Media Content

दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन के पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स की सुरक्षा करते हुए सोशल मीडिया और विभिन्न इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर उनके खिलाफ प्रसारित आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि कई ई-कॉमर्स साइट्स और वेबसाइट्स पर ऐसे लिंक और लिस्टिंग पाई गई हैं जो ऋतिक रोशन के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

ऋतिक ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी छवि, नाम और पहचान के दुरुपयोग को रोकने की मांग की थी। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर उनके नाम और तस्वीरों का एआई तकनीक के जरिए अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है।

जस्टिस मन्मीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान कुछ आपत्तिजनक पोस्ट्स को तुरंत हटाने का आदेश दिया। हालांकि, कुछ फैन पेजेस के खिलाफ कार्रवाई याचिकाकर्ताओं की सुनवाई के बाद ही होगी। मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च 2026 को होगी।

कई सेलेब्रिटीज़ ने हाल के महीनों में अपने व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए कोर्ट का रुख किया है। इनमें ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, करण जौहर, अक्किनेनी नागार्जुन, श्री श्री रविशंकर और सुधीर चौधरी शामिल हैं।

कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि पर्सनैलिटी राइट्स किसी व्यक्ति को अपने नाम, छवि और आवाज़ के उपयोग पर नियंत्रण रखने का अधिकार देते हैं। यह अधिकार खासकर सेलेब्रिटीज़ के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि एआई के दौर में किसी का चेहरा या आवाज़ सेकंडों में बदलकर फर्जी या आपत्तिजनक कंटेंट बनाया जा सकता है।

इस तरह के अंतरिम आदेश से न केवल ऋतिक रोशन की प्रतिष्ठा और निजता सुरक्षित होगी, बल्कि यह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुचित लाभ लेने वालों के खिलाफ भी एक सशक्त कानूनी संदेश है।

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