केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लॉन्च किया आरटीआई जर्नल, ई-जर्नल भी शुरू

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागरिक-केंद्रित शासन के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और सूचना के सार्वजनिक प्रकटीकरण को बढ़ावा देने के लिए पिछले एक दशक में सरकार द्वारा दिए गए व्यापक प्रयासों का उल्लेख किया।

Union Minister Dr. Jitendra Singh Launches RTI Journal; E-Journal Also Started
Union Minister Dr. Jitendra Singh Launches RTI Journal; E-Journal Also Started

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय, अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज आरटीआई जर्नल का नवीनतम संस्करण जारी किया और भारतीय राष्ट्रीय सूचना आयोग संघ (एनएफआईसीआई) की वेबसाइट पर एक ई-जर्नल का अनावरण किया।

डॉ. सिंह नई दिल्ली स्थित केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में भारतीय राष्ट्रीय सूचना आयोग संघ की 15वीं वार्षिक आम सभा की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

बैठक में केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल समारिया, राज्य मुख्य सूचना आयुक्तों और देश भर के सूचना आयुक्तों ने भाग लिया।

2014 के बाद से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) में हुए कुछ महत्वपूर्ण सुधारों के बारे में बात करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने 1600 से ज्यादा पुराने कानूनों को ख़त्म करने का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों को राजपत्रित अधिकारियों से सत्यापित कराने की प्रथा समाप्त किए जाने से यह संदेश गया है कि यह सरकार देश के युवाओं पर भरोसा करती है, जो देश की 70 प्रतिशत आबादी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागरिक-केंद्रित शासन के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और सूचना के सार्वजनिक प्रकटीकरण को बढ़ावा देने के लिए पिछले एक दशक में सरकार द्वारा दिए गए व्यापक प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के सिद्धांत के तहत, किस तरह से प्रौद्योगिकी-संचालित विकल्पों के माध्यम से विश्वसनीयता, निपटान दर और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए परिवर्तनकारी बदलाव किए गए।

उन्होंने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी, जब निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करने के लिए दूरस्थ रूप से बैठकें आयोजित की गईं, आरटीआई मामलों के लगभग 100 प्रतिशत निपटान के लिए केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य आयोगों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि पारदर्शिता को मज़बूत करने के लिए अब कई तरह के उपकरण उपाय हैं और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है।

इसी प्रकार, सरकारी भर्ती में साक्षात्कारों को समाप्त करना व्यक्तिपरकता, पक्षपात और भाई-भतीजावाद को समाप्त करने की दिशा में एक साहसिक कदम था, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और योग्यता-आधारित बन गई। डॉ. सिंह ने कहा कि इस निर्णय को लेकर शुरुआत में सवाल उठे थे लेकिन अंततः इसने शासन में जनता का भरोसा और विश्वसनीयता मजबूत की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अभिनव ‘ह्यूमन डेस्क’ प्रयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि निपटान महत्वपूर्ण है, लेकिन नागरिक प्रसन्नता सूचकांक भी उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रत्येक आरटीआई निपटान के बाद, परामर्श या प्रतिक्रिया के लिए एक व्यक्तिगत कॉल यह सुनिश्चित करती है कि आवेदकों को सुना और उनसे जुड़ा हुआ महसूस हो।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर सरकारी आदेश और फैसले पहले से ही आधिकारिक वेबसाइटों पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं जिससे बार-बार आरटीआई आवेदन करने की ज़रूरत कम हो गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि अनावश्यक या बार-बार आने वाले आवेदनों को छांटने के प्रयास किए जाने चाहिए, साथ ही कुशल समाधान के लिए मानदंडों और मानक संचालन प्रक्रियाओं को मजबूत बनाया जाना चाहिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सूचना आयोगों के बीच समन्वय, पारस्परिक परामर्श और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच के रूप में उभरने के लिए एनएफआईसीआई की सराहना की। उन्होंने सूचना आयुक्तों से आग्रह किया कि वे अपने कार्यकाल के दौरान सुझाव देने में और अधिक तत्पर रहें ताकि उनके विचारों को तत्काल लागू किया जा सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आरटीआई और सूचना आयोग, शासन में अधिक पारदर्शिता लाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सीपीजीआरएएमएस जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकी-संचालित तंत्रों के साथ, हम एक ऐसी शासन प्रणाली के करीब पहुंच रहे हैं जो पारदर्शी होने के साथ-साथ नागरिक-अनुकूल भी है।

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