आज फिर जलेगी दिवाली: 10 दिसंबर को यूनेस्को बैठक के बीच देशभर के स्मारक, दिल्ली का लाल किला और चांदनी चौक सजेंगे दीयों से

UNESCO Celebration: Delhi's Red Fort and Chandni Chowk to Shine Brightly with Lamps Today as Part of Deepavali Recognition Event
UNESCO Celebration: Delhi's Red Fort and Chandni Chowk to Shine Brightly with Lamps Today as Part of Deepavali Recognition Event

संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से 10 दिसंबर को देशभर में एक बार फिर दिवाली जैसा माहौल बनाने के लिए विशेष रोशनी कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। दिल्ली में लाल किला, चांदनी चौक और कई प्रमुख सरकारी इमारतों को दीयों और रंगीन लाइटिंग से सजाया जा रहा है।

दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि ऐतिहासिक स्मारकों के साथ-साथ दिल्ली सरकार की इमारतों को भी दीयों और रंगीन रोशनी से सजाया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य केंद्र लाल किला रहेगा, जहां विशेष समारोह आयोजित होगा। इसके अलावा, चांदनी चौक इलाके में रंगोली सजाने की भी तैयारी है और सीमित स्तर पर आतिशबाजी की भी योजना बनाई गई है।

10 दिसंबर को ‘दिवाली’ मनाने का कारण

यह विशेष आयोजन यूनेस्को (UNESCO) की इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक के चलते किया जा रहा है, जो 8 से 13 दिसंबर तक दिल्ली के लाल किले में आयोजित हो रही है। भारत सरकार ने मार्च 2024 में दिवाली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा था।

इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए यूनेस्को इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की बैठक चल रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दिवाली को विश्व अमूर्त विरासत का दर्जा मिलने की पूरी संभावना है। भारत का प्रस्ताव इस बैठक के एजेंडे में 24वें स्थान पर रखा गया है, जिस पर 9 और 10 दिसंबर को चर्चा संभावित है। इसी खुशी और सम्मान में 10 दिसंबर को देशभर के प्रमुख स्मारकों को दीयों से सजाने की तैयारी की गई है।

यूनेस्को बैठक और भारत की दलील

यूनेस्को की यह अहम बैठक हर दो साल में आयोजित होती है। पिछली बैठक 2023 में हुई थी और अगली बैठक 2027 में प्रस्तावित है। भारत सरकार ने भविष्य के लिए छठ पूजा को भी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेज दिया है।

भारत की ओर से यूनेस्को में यह दलील दी गई कि दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व में परिवारों का पुनर्मिलन, घरों की सफाई, बाजारों की सजावट और सामूहिक उत्सव शामिल है। यूनेस्को अब तक भारत की 15 परंपराओं और संस्कृतियों को विभिन्न श्रेणियों में विश्व धरोहर का दर्जा दे चुका है।

पहली बार भारत कर रहा मेजबानी

यह पहला अवसर है जब भारत यूनेस्को की इस उच्चस्तरीय बैठक की मेजबानी कर रहा है। उद्घाटन समारोह में कई प्रमुख हस्तियां शामिल रहीं, जिनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को महानिदेशक खालिद अल-एनानी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, और यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा के नाम शामिल हैं। यूनेस्को के अनुसार, इस बैठक में दुनिया भर से आए 54 देशों के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है और योग्य परंपराओं को वैश्विक सूची में शामिल किया जाएगा।

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