संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से 10 दिसंबर को देशभर में एक बार फिर दिवाली जैसा माहौल बनाने के लिए विशेष रोशनी कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। दिल्ली में लाल किला, चांदनी चौक और कई प्रमुख सरकारी इमारतों को दीयों और रंगीन लाइटिंग से सजाया जा रहा है।
दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि ऐतिहासिक स्मारकों के साथ-साथ दिल्ली सरकार की इमारतों को भी दीयों और रंगीन रोशनी से सजाया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य केंद्र लाल किला रहेगा, जहां विशेष समारोह आयोजित होगा। इसके अलावा, चांदनी चौक इलाके में रंगोली सजाने की भी तैयारी है और सीमित स्तर पर आतिशबाजी की भी योजना बनाई गई है।
Hindutva : Yes, It's Terror for terrorists
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) September 10, 2021
कलाम बनकर आओगे तो बुद्ध
कसाब बनकर आओगे तो युद्ध#Hindutva को dismantle करने का सपना देखने वालों के गाल पर एक झन्नाटेदार प्रहार
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10 दिसंबर को ‘दिवाली’ मनाने का कारण
यह विशेष आयोजन यूनेस्को (UNESCO) की इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक के चलते किया जा रहा है, जो 8 से 13 दिसंबर तक दिल्ली के लाल किले में आयोजित हो रही है। भारत सरकार ने मार्च 2024 में दिवाली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा था।
इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए यूनेस्को इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की बैठक चल रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दिवाली को विश्व अमूर्त विरासत का दर्जा मिलने की पूरी संभावना है। भारत का प्रस्ताव इस बैठक के एजेंडे में 24वें स्थान पर रखा गया है, जिस पर 9 और 10 दिसंबर को चर्चा संभावित है। इसी खुशी और सम्मान में 10 दिसंबर को देशभर के प्रमुख स्मारकों को दीयों से सजाने की तैयारी की गई है।
🔴 BREAKING
— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳 (@UNESCO) December 10, 2025
New inscription on the #IntangibleHeritage List: Deepavali, #India🇮🇳.
Congratulations!https://t.co/xoL14QknFp #LivingHeritage pic.twitter.com/YUM7r6nUai
यूनेस्को बैठक और भारत की दलील
यूनेस्को की यह अहम बैठक हर दो साल में आयोजित होती है। पिछली बैठक 2023 में हुई थी और अगली बैठक 2027 में प्रस्तावित है। भारत सरकार ने भविष्य के लिए छठ पूजा को भी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेज दिया है।
भारत की ओर से यूनेस्को में यह दलील दी गई कि दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व में परिवारों का पुनर्मिलन, घरों की सफाई, बाजारों की सजावट और सामूहिक उत्सव शामिल है। यूनेस्को अब तक भारत की 15 परंपराओं और संस्कृतियों को विभिन्न श्रेणियों में विश्व धरोहर का दर्जा दे चुका है।
पहली बार भारत कर रहा मेजबानी
यह पहला अवसर है जब भारत यूनेस्को की इस उच्चस्तरीय बैठक की मेजबानी कर रहा है। उद्घाटन समारोह में कई प्रमुख हस्तियां शामिल रहीं, जिनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को महानिदेशक खालिद अल-एनानी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, और यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा के नाम शामिल हैं। यूनेस्को के अनुसार, इस बैठक में दुनिया भर से आए 54 देशों के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है और योग्य परंपराओं को वैश्विक सूची में शामिल किया जाएगा।
