भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव और सैन्य कार्रवाई के संदर्भ में शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राऊत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्तक्षेप, भाजपा नेतृत्व और देश की नीति पर तीखे हमले किए हैं।
संजय राऊत ने कहा, “ट्रंप को किसने अधिकार दिया? किसने कहा कि बीजेपी चाणक्य हैं? यह बीजेपी नकली चाणक्य है। ऐसे नकली चाणक्य बहुत घूमते रहते हैं। प्रेसिडेंट ट्रंप को किसने अधिकार दिया कि वह कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप करें?
ट्रंप से पहले नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को 1971 के बाद इंदिरा गांधी के समय जो करार हुआ था, वो पढ़ना चाहिए। उस शिमला करार में स्पष्ट लिखा है कि भारत और पाकिस्तान आपस में चर्चा करेंगे, और कोई तीसरा देश इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा। यह उस करार का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है—तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी।
ट्रंप को कौन मुखिया, सरपंच या चौधरी बना रहा है? हमारे गांवों में भी पाटिल और चौधरी होते हैं, लेकिन क्या हमने ट्रंप को चौधरी बना दिया है? वह कहीं भी घुस जाते हैं।
हमारी सेना और हमारे फौजी पूरी तरह सक्षम हैं। चाहे राजनीतिक नेतृत्व थोड़ा कमजोर हो, हमारी सेना अपना काम कर सकती है। मोदी जी को अभी समय है। बिहार चुनाव से पहले वे ज़रूर देश को संबोधित करेंगे। मोदी जी बहुत चतुर नेता हैं। जब लोग सवाल पूछेंगे, तब वे बिहार या पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले कोई बड़ा भाषण देंगे।
हमारे फौजी जोश में थे रावलपिंडी और इस्लामाबाद तक पहुंचने के लिए, लेकिन उन्हें किसने रोका? और क्यों रोका? अब पाकिस्तान को खत्म करने का मौका फिर नहीं मिलेगा।
पाकिस्तान में जो जश्न मनाया जा रहा है, उसका ज़िम्मेदार प्रेसिडेंट ट्रंप है। और ट्रंप के यहाँ भारत में जो पाले गए कुछ लोग हैं, उन पिल्लों को भी कोई अधिकार नहीं है भारत की नीतियों पर बोलने का।
हमारे लोगों पर हमला हुआ है, हमारे जवान मारे गए, हमारी बहनों की इज्जत पर हमला हुआ है। इसका बदला लेने का अधिकार हमें है, न कि अमेरिका को।
अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी ने खुद कहा है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध से उनका कोई लेना-देना नहीं है। पर यहां कुछ प्रचारक 24 घंटे में दावा करते हैं कि ‘हमने युद्ध रुकवा दिया।’
अब तो ऐसा लग रहा है कि ट्रंप बीजेपी वालों के ‘नए पापा’ हो गए हैं, जो हर बार युद्ध रुकवा देते हैं। पाकिस्तान में लोग खुश हैं, जश्न मना रहे हैं। सवाल यह है—क्या कोई सौदा हुआ है?
क्या कोई ऐसी स्थिति बन गई है कि ट्रंप को मध्यस्थता के लिए चुना गया है? हमारे पास जानकारी है कि किसको क्या फायदा मिलेगा, किसके ऊपर कौन-कौन से मामले चल रहे हैं, और उन्हें वापस लेने की चर्चाएं हो रही हैं। ये बातें धीरे-धीरे सामने आएंगी।
चीन जैसे बॉर्डर नेशन के साथ ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत होती है, लेकिन अमेरिका को बीच में लाने की कोई जरूरत नहीं है।”
