RJD में बढ़ा सियासी भूचाल: रोहिणी आचार्य ने छोड़ा परिवार और राजनीति, तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर उठे सवाल

बिहार की राजनीति में उठे इस ताज़ा भूचाल ने लालू प्रसाद यादव के परिवार और आरजेडी दोनों के भीतर गहरे संकट को उजागर कर दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद पार्टी पहले ही सदमे में थी, और अब परिवारिक दरारों ने इसे और गहरा कर दिया है।

RJD Crisis Deepens: Rohini Acharya Steps Away from Family and Politics
RJD Crisis Deepens: Rohini Acharya Steps Away from Family and Politics

बिहार की राजनीति में उठे इस ताज़ा भूचाल ने लालू प्रसाद यादव के परिवार और आरजेडी दोनों के भीतर गहरे संकट को उजागर कर दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद पार्टी पहले ही सदमे में थी, और अब परिवारिक दरारों ने इसे और गहरा कर दिया है। तेज प्रताप यादव के निष्कासन के बाद अब उनकी बहन रोहिणी आचार्य का राजनीति छोड़ना और परिवार से दूरी बना लेना इस विवाद को नए मोड़ पर ले आया है। यह मामला सिर्फ एक परिवार के भीतर की कलह नहीं, बल्कि आरजेडी की कमजोर होती नेतृत्व क्षमता और अंदरूनी गुटबाज़ी का आईना भी बन चुका है।

विवाद की जड़ और तेज प्रताप का निष्कासन

विवाद की शुरुआत मई 2025 में हुई, जब तेज प्रताप यादव की नई रिलेशनशिप की घोषणा से परिवार में तनाव बढ़ गया। लालू प्रसाद यादव ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी और परिवार दोनों से बाहर कर दिया। तेज प्रताप ने इसका दोष संजय यादव को दिया, जो तेजस्वी यादव के सबसे भरोसेमंद सलाहकार माने जाते हैं। इसके बाद उन्होंने ‘जनशक्ति जनता दल’ बनाकर महुआ सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

रोहिणी का विद्रोह और आरोप

तेज प्रताप के निष्कासन के विरोध में रोहिणी आचार्य लगातार आवाज उठाती रहीं। पिता को किडनी दान कर सुर्खियों में आईं रोहिणी ने भाई के समर्थन में खुलकर बयान दिए, मगर यह भी परिवार की दरारों को नहीं भर सका। बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की बुरी हार के बाद रोहिणी ने एयरपोर्ट पर भावुक होकर परिवार से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने तेजस्वी यादव पर संजय और रमीज के इशारों पर परिवार में दमनकारी माहौल बनाने के आरोप भी लगाए।

2024 लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही रोहिणी के भीतर असंतोष गहराता गया। उनका दावा है कि सवाल उठाने पर उन्हें अपमानित किया गया और परिवार में उनकी बात को महत्व नहीं दिया गया। तेज प्रताप पहले ही पार्टी और परिवार से अलग हो चुके थे, और अब रोहिणी के दिल्ली जाने से लालू परिवार की एकजुटता पूरी तरह कमजोर पड़ गई है।

RJD को गहरा झटका

इस विवाद का असर राजनीतिक तौर पर भी गंभीर माना जा रहा है। पहले ही बिहार चुनाव में महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया था, और एनडीए ने बड़ी जीत हासिल की। अब लालू परिवार की टूटती छवि और रोहिणी-तेज प्रताप के आरोपों ने तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

इधर विपक्ष ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रियाएं दी हैं। जेडीयू नेता नीरज कुमार ने रोहिणी के साथ हुए कथित व्यवहार को दुखद बताया और कहा कि बेटी के आंसू लालू यादव को भारी पड़ सकते हैं। वहीं बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने लालू-राबड़ी से परिवार को बचाने की अपील करते हुए कहा कि जिसने अपने पिता को किडनी देकर जीवन दिया, उसे आज यह स्थिति नहीं झेलनी चाहिए।

कुल मिलाकर, आरजेडी के भीतर शुरू हुआ यह पारिवारिक संघर्ष अब एक बड़े राजनीतिक संकट में बदल चुका है, जिसका असर पार्टी की साख और भविष्य दोनों पर साफ दिखाई दे रहा है।

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