राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लागत लेखाकारों को बताया राष्ट्र-निर्माता, कहा- 2047 तक भारत को विकसित बनाने में निभाएं अहम भूमिका

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान देश की प्रगति में भागीदार रहा है। यह नीति निर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों को लागत-कुशल रणनीतियाँ और प्रणालियाँ विकसित करने में अत्यधिक मूल्यवान सहायता प्रदान करता है।

President Droupadi Murmu Hails Cost Accountants as Nation-Builders
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नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में भारतीय लागत लेखाकार संस्थान के राष्ट्रीय छात्र दीक्षांत समारोह में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने लागत लेखाकारों के महत्व और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के इतिहास में लेखांकन और जवाबदेही का गहरा संबंध रहा है, जिसके कारण लेखाकारों को समाज में हमेशा उच्च सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने जोर दिया कि चूंकि हम जवाबदेही को महत्व देते हैं, इसलिए लेखांकन का विशेष महत्व है।

मुर्मू ने कहा कि आधुनिक समय में, इस समृद्ध विरासत को भारतीय लागत लेखाकार संस्थान जैसी संस्थाएं आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस संस्थान की स्थापना 1944 में देश में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के विनियमन और विकास के लिए की गई थी। स्वतंत्रता के बाद से, यह संस्थान न केवल आर्थिक परिवर्तन का साक्षी रहा है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आज दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि आर्थिक और कॉर्पोरेट विशेषज्ञ देश के औद्योगिक विकास में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के कार्य की सराहना करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान देश की प्रगति में भागीदार रहा है। यह नीति निर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों को लागत-कुशल रणनीतियाँ और प्रणालियाँ विकसित करने में अत्यधिक मूल्यवान सहायता प्रदान करता है। इस संस्थान ने अपने कार्यों को कारखानों में लागत लेखांकन से लेकर प्रबंधन लेखांकन तक बढ़ते देखा है।

राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी बात की और कहा कि स्थिरता अब एक आवश्यकता बन गई है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट संगठनों को अब केवल लाभ के उद्देश्य से काम करने के अलावा पर्यावरण की लागत को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान अपने कौशल से इस दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है।

अपने संबोधन के अंत में, राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि उनकी जिम्मेदारियां वित्तीय लेखांकन से कहीं अधिक हैं। उन्होंने कहा कि लागत लेखाकार के रूप में, वे वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने में योगदान देने के लिए अद्वितीय स्थिति में हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि संस्थान द्वारा दी जाने वाली शिक्षा छात्रों को न केवल एक सफल पेशेवर बल्कि राष्ट्र-निर्माता भी बनाएगी।

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