Hyderabad Babri Memorial: हैदराबाद में बाबरी मस्जिद की याद में एक स्मारक बनाने की घोषणा के बाद राजनीतिक माहौल अचानक गर्म हो गया है। कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद जैसी संरचना बनाने के ऐलान के बाद अब हैदराबाद के एक मुस्लिम संगठन ने ग्रेटर हैदराबाद क्षेत्र में इसी तरह का मेमोरियल बनाने की घोषणा की है। इस कदम ने राज्य की राजनीति के साथ-साथ देशभर में एक नई बहस छेड़ दी है।
मुस्लिम संगठन ने दावा किया है कि प्रस्तावित स्मारक सिर्फ धार्मिक पहचान का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि उसके साथ सामाजिक और वेलफेयर सुविधाएं भी शामिल की जाएंगी। संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि यह स्मारक नफरत नहीं बल्कि एकता और इंसानियत का संदेश देगा। हालांकि, इस घोषणा से पहले कोई औपचारिक स्थान, निर्माण योजना या सरकारी अनुमति की जानकारी सामने नहीं आई है।
इस घोषणा के बाद तेलंगाना की राजनीति में आलोचना और विरोध तेज हो गया है। बीजेपी ने इस प्रस्ताव को उकसाने वाला कदम बताया है। पार्टी के प्रवक्ताओं का कहना है कि बाबरी मस्जिद का मुद्दा अब अदालत के फैसले के साथ समाप्त हो चुका है और इस तरह की पहल केवल भावनाओं को भड़काने और समाज में तनाव फैलाने के उद्देश्य से की जा रही है। भाजपा नेताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि हैदराबाद में ऐसा स्मारक बनने नहीं दिया जाएगा और जरूरत पड़ी तो इसका विरोध सड़क से लेकर अदालत तक किया जाएगा।
हिंदू संगठनों ने भी इस घोषणा को एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति बताया है। उनका कहना है कि देश पहले ही धार्मिक ध्रुवीकरण का सामना कर चुका है और अब इस तरह के प्रस्तावों का कोई सकारात्मक उद्देश्य नहीं है। उनका यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है, इसलिए पुरानी बहसों और विवादों को फिर से हवा देना देश की सामाजिक एकता के खिलाफ है।
वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे मामले को आगामी चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। उनके अनुसार, ऐसे मुद्दों को उठाकर पहचान की राजनीति को फिर से सक्रिय करने की कोशिश हो रही है, ताकि धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सके।
फिलहाल, इस घोषणा को लेकर सरकार या प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन बढ़ते राजनीतिक तनाव और बयानबाजी को देखते हुए यह मामला आगे और तूल पकड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रस्ताव सिर्फ घोषणा तक सीमित रहता है या वाकई किसी निर्माण की दिशा में आगे बढ़ता है।
