लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उस समय हलचल बढ़ गई जब बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने सदन के भीतर ई-सिगरेट पीने का गंभीर मुद्दा उठाया। ठाकुर ने किसी सांसद का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था कि आरोप तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक सांसद पर है। उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही के दौरान ऐसी हरकतें न सिर्फ नियमों के खिलाफ हैं, बल्कि सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं।
अनुराग ठाकुर के अनुसार, संसद वह पवित्र स्थान है जहां देश के करोड़ों लोग उम्मीदों के साथ नजरें टिकाए रखते हैं। इसलिए यहां ऐसा कोई भी व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता जो संसदीय अनुशासन के विपरीत हो। उन्होंने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जरूरत पड़ने पर जांच कराने की मांग भी रखी, ताकि आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
जैसे ही आरोपों की चर्चा हुई, सदन की निगाहें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की ओर चली गईं। स्पीकर ने तुरंत स्पष्ट किया कि किसी सांसद को ई-सिगरेट, धूम्रपान या किसी भी तरह की प्रतिबंधित चीज इस्तेमाल करने की कोई इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद के नियम सभी सदस्यों पर समान रूप से लागू होते हैं और सदन की गरिमा बनाए रखना हर सांसद की जिम्मेदारी है।
ओम बिरला ने यह भी कहा कि फिलहाल उनके पास इस मामले में कोई आधिकारिक शिकायत या सबूत नहीं पहुंचा है। लेकिन अगर कोई शिकायत आती है या उन्हें कोई प्रमाण मिलता है, तो नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने याद दिलाया कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंच है और यहां बैठे हर प्रतिनिधि से अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।
ई-सिगरेट क्या है और भारत में क्यों बैन है?
भारत सरकार ने 2019 में ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, क्योंकि यह युवाओं—खासकर स्कूल-कॉलेज के छात्रों—के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही थी। ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाला उपकरण है, जो निकोटीन युक्त तरल को गर्म कर भाप बनाता है और वही इनहेल की जाती है। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि युवाओं में यह गलत धारणा फैल रही थी कि ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट से कम हानिकारक है, जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक यह उतनी ही खतरनाक है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में कहा था कि ई-सिगरेट के बहाने कुछ युवा ड्रग्स तक का सेवन करने लगे थे, जिससे चिंता और बढ़ गई। इसी वजह से ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019’ लागू किया गया, जिसके तहत ई-सिगरेट का निर्माण, बिक्री, विज्ञापन, आयात और निर्यात—सब कुछ गैरकानूनी है। इसका उल्लंघन करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
ICMR की चेतावनी: 79% तक बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के शोध के अनुसार, रोजाना ई-सिगरेट का इस्तेमाल हार्ट अटैक के खतरे को 79% तक बढ़ा सकता है। ई-सिगरेट के धुएं में निकेल, टिन और सीसा जैसी भारी धातुएं पाई जाती हैं, जो कैंसर, डीएनए नुकसान और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
