राष्ट्रीय आयुष मिशन पर शिखर सम्मेलन: 23 सितंबर को हर वर्ष मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस

जाधव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि आयुर्वेद दिवस अब हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा और इस वर्ष इसकी दसवीं वर्षगांठ “लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद” विषय वस्तु के तहत मनाई जाएगी।

National Ayush Mission Summit Announces: Ayurveda Day to be Celebrated Annually on September 23
National Ayush Mission Summit Announces: Ayurveda Day to be Celebrated Annually on September 23

नई दिल्ली: केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने आज नई दिल्ली स्थित सरिता विहार के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में ‘राष्ट्रीय आयुष मिशन और राज्यों में क्षमता निर्माण’ पर विभागीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल और आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जाधव ने राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप एक सुदृढ़ और समावेशी स्वास्थ्य सेवा ढांचा तैयार करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया। जाधव ने देश भर में स्वास्थ्य सेवा वितरण को बेहतर बनाने के लिए व्यापक मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) विकसित करने के सरकार के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य राज्य-विशिष्ट ढांचे बनाना, बेहतर स्वास्थ्य ढांचे के निर्माण के लिए व्यापक एसओपी विकसित करना, लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करना और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ आयुष का एकीकरण सुनिश्चित करना है।”

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्ष 2014 में अपनी स्थापना के बाद से राष्ट्रीय आयुष मिशन की प्रगति पर विचार करते हुए जाधव ने कहा कि इस मिशन ने किफायती और समावेशी आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ाया है। उन्होंने विशेष रूप से पूरे भारत में 12,500 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना की रूपांतरकारी पहल पर प्रकाश डाला, जो ओपीडी-आधारित सेवाओं से निवारक और प्रोत्साहनकारी स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक समग्र सेवा वितरण मॉडल की ओर आदर्श बदलाव का प्रतीक है।

उन्होंने बताया कि 4 मार्च, 2024 को मंत्रालय ने आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय जन स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) जारी किया। नीति आयोग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के परामर्श से विकसित ये मानक आयुष अवसंरचना, मानव संसाधन, क्षमता निर्माण, औषधियों, गुणवत्ता आश्वासन, नैदानिक परीक्षणों और ब्रांडिंग में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

जाधव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि आयुर्वेद दिवस अब हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा और इस वर्ष इसकी दसवीं वर्षगांठ “लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद” विषय वस्तु के तहत मनाई जाएगी। यह विषय वस्तु पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए व्यक्तिगत कल्याण को बढ़ावा देने में आयुर्वेद की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आयुर्वेद दिवस को एक वैश्विक स्वास्थ्य पहल के रूप में विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से भाग लेने और सामूहिक रूप से कार्य करने का आग्रह किया।

जाधव ने संस्थागत विकास के मोर्चे पर आयुष से संबंधित बीमा मामलों में हितधारकों की सहायता के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) के प्रचालनगत होने की घोषणा की। यह पीएमयू बीमा तंत्र के माध्यम से आयुष उपचार तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए एक समर्पित इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करेगा।

उन्होंने एआईआईए में ‘आयुर्विद्या उन्नत केंद्र’ का भी उद्घाटन किया – जो आयुर्वेद शिक्षा और संचार के लिए समर्पित एक अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। इस केंद्र का उद्देश्य विशेषज्ञों द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों, लाइव वेबिनार और संवादमूलक सत्रों के माध्यम से आयुर्वेद शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करना है। इस पहल के आयुष सेक्‍टर में क्षमता निर्माण, सतत व्यावसायिक विकास और नवोन्‍मेषण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

आयुष शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने स्वस्थ भारत के निर्माण में आयुष क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि यह शिखर सम्मेलन देश भर में पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने पर विचार-विमर्श के लिए हितधारकों और राज्य सरकारों को एक मंच पर लाता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत @2047 का लक्ष्य केवल स्वस्थ और उत्पादक जनसंख्या के माध्यम से ही साकार हो सकता है। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य राष्ट्रीय विकास के लिए एक सक्षमकर्ता और उपलब्धि दोनों है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में क्षय रोग, कुष्ठ रोग, लसीका फाइलेरिया, खसरा, कालाजार और रूबेला जैसी बीमारियों के उन्मूलन हेतु किए गए केंद्रित प्रयासों के साथ, गंभीर बीमारियों से निपटने और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) प्राप्त करने में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख किया। डॉ. पॉल ने आधुनिक और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को शामिल करते हुए एक व्यापक, एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से जीवन प्रत्याशा को वर्तमान 71 वर्ष से बढ़ाकर 85 वर्ष या उससे अधिक करने के महत्व पर बल दिया।

इस लक्ष्य को अर्जित करने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के बेहतर कार्यान्वयन, आयुष चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने, स्वास्थ्य और चिकित्सा मूल्य पर्यटन को बढ़ावा देने और आयुष निजी क्षेत्र एवं प्रशिक्षित कार्यबल की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने सहित प्रमुख कार्य बिंदुओं को रेखांकित किया। उन्होंने बेहतर राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिणामों के लिए आयुष को मुख्यधारा में लाने के लिए सामूहिक और निरंतर प्रयासों का आह्वान किया।

सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुष और योग के मिश्रण, ‘हर घर आयुर्योग’ पहल को हर घर तक पहुंचाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, क्योंकि यह एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि छह प्रमुख उप-विषयों पर आधारित इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्देश्य व्यवहारगत परिवर्तन के माध्यम से इस एकीकरण को आगे बढ़ाना है और यह सम्‍मेलन आयुष नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य राज्य-विशिष्ट नोट्स और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से प्राप्त फीडबैक नोट्स पर विस्तृत चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना है, जिसमें जमीनी स्तर के इनपुट भी शामिल हैं। इस तरह के सहभागी दृष्टिकोण का उद्देश्य राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) को सुदृढ़ बनाना और कार्यनीतिक रूप से विस्तारित करना है। यह एक प्रमुख कार्यक्रम है जो आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी प्रणालियों को एकीकृत करके समग्र स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देता है।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ नौकरशाहों ने इसमें भाग लिया और आवंटित विषयों तथा राज्य-विशिष्ट और जमीनी स्तर के हितधारकों से प्राप्त फीडबैक नोट्स पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए।

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