भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस त्रिकंद ने मिस्र में ब्राइट स्टार 2025 युद्धाभ्यास में भाग लिया

अलेक्जेंड्रिया में अपने प्रवास के दौरान, आईएनएस त्रिकंद ने कई गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठकें, क्रॉस-डेक दौरे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल थे। इन गतिविधियों का उद्देश्य द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाना था।

Indian Navy Ship INS Trikand Participates in Bright Star 2025 Exercise in Egypt
Indian Navy Ship INS Trikand Participates in Bright Star 2025 Exercise in Egypt

भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद ने भूमध्य सागर में अपनी तैनाती के दौरान 11 सितंबर 2025 को मिस्र के अलेक्जेंड्रिया बंदरगाह पर अपनी यात्रा पूरी की। इस जहाज ने मिस्र में आयोजित ‘अभ्यास ब्राइट स्टार 2025’ में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व किया। इस बहुपक्षीय युद्धाभ्यास में भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने भी हिस्सा लिया।

क्या है ‘ब्राइट स्टार’ युद्धाभ्यास?

‘ब्राइट स्टार’ अमेरिकी मध्य कमान के नेतृत्व में एक द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय अभ्यास है, जिसमें वायु, थल और समुद्री सेनाएँ शामिल होती हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें हाइब्रिड और अनियमित युद्ध के परिदृश्यों के खिलाफ विभिन्न देशों की सेनाओं के बीच आपसी समन्वय (inter-operability) को बेहतर बनाया जाता है। इस वर्ष के अभ्यास में अमेरिका, मिस्र और भारत के अलावा सऊदी अरब, कतर, ग्रीस और इटली की सेनाओं ने भी भाग लिया।

आईएनएस त्रिकंद की भूमिका

अलेक्जेंड्रिया में अपने प्रवास के दौरान, आईएनएस त्रिकंद ने कई गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठकें, क्रॉस-डेक दौरे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल थे। इन गतिविधियों का उद्देश्य द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाना था।

अभ्यास के समुद्री चरण के दौरान, विभिन्न देशों की नौसेनाओं ने वास्तविक समुद्री युद्ध परिदृश्यों में अपनी परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन किया। आईएनएस त्रिकंद को उसकी सटीक निशानेबाजी और पेशेवर कार्यशैली के लिए सराहा गया।

एक सफल अभ्यास और बंदरगाह प्रवास के बाद, आईएनएस त्रिकंद अब इस क्षेत्र में अपनी तैनाती के अगले चरण के लिए रवाना हो गया है। आने वाले सहयोगों का लक्ष्य साझेदार देशों के साथ प्रक्रियाओं में समानता को मजबूत करना और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करना है, जिससे पारंपरिक और गैर-पारंपरिक समुद्री खतरों के खिलाफ संयुक्त अभियानों में मदद मिलेगी।

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