प्रशांत किशोर को चुनाव आयोग का नोटिस, बिहार और बंगाल की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होने पर 3 दिन में माँगा जवाब

नोटिस के मुताबिक, प्रशांत किशोर का नाम बिहार के रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है, जो सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वहीं, उनका नाम पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में भी मौजूद है।

Election Commission Issues Notice to Prashant Kishor Over Names in Bihar and Bengal Voter Lists
Election Commission Issues Notice to Prashant Kishor Over Names in Bihar and Bengal Voter Lists

EC Notice to Prashant Kishor: जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर एक नए विवाद में फंस गए हैं। इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) ने उन्हें नोटिस जारी किया है। आरोप है कि प्रशांत किशोर का नाम दो अलग-अलग राज्यों — बिहार और पश्चिम बंगाल — की वोटर लिस्ट में दर्ज है। यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के तहत प्रतिबंधित है। अब उन्हें तीन दिनों के भीतर इस मामले में अपना जवाब देना होगा।

नोटिस के मुताबिक, प्रशांत किशोर का नाम बिहार के रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है, जो सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वहीं, उनका नाम पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में भी मौजूद है। दोनों जगहों पर नाम दर्ज होना कानून के खिलाफ है, क्योंकि एक व्यक्ति सिर्फ एक ही निर्वाचन क्षेत्र में वोटर के रूप में पंजीकृत हो सकता है।

वोटर सूची के अनुसार, पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर का एपिक नंबर ‘IUI0686683’ है और उनका मतदान केंद्र कोलकाता के रानीशंकरी लेन स्थित सेंट हेलेन स्कूल है। वहीं बिहार में उनका वोटर आईडी करगहर विधानसभा क्षेत्र के कोनार गांव के मध्य विद्यालय मतदान केंद्र पर दर्ज है, जो उनका पैतृक स्थान भी है।

अगर आरोप सही पाए गए, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत किसी व्यक्ति के पास दो वोटर आईडी कार्ड होना या दो राज्यों की मतदाता सूची में नाम दर्ज होना गैरकानूनी है। इसके लिए सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर पहले पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार रह चुके हैं। अब वे अपनी पार्टी जन सुराज के साथ बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं। यह मामला उनके लिए राजनीतिक रूप से मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि दोहरी मतदाता पहचान को लेकर विपक्ष उन्हें निशाने पर ले सकता है।

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