नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा आयोजित चिकित्सक दिवस समारोह में विश्व प्रसिद्ध चिकित्सक और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने डॉक्टर-मरीज़ के बीच खोए हुए विश्वास को बहाल करने का आह्वान किया, जो डॉ. बी.सी. रॉय के दौर की पहचान थी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की राष्ट्रीय संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस समारोह में आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. भानुशाली, नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. नाइक और अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने डॉ. बी.सी. रॉय के योगदान को याद किया और कहा, “डॉ. रॉय की सबसे बड़ी खूबियों में से एक यह थी कि वे और उनके समकालीन, समाज में अटूट विश्वास रखते थे।” उन्होंने कहा कि 1940 के दशक में डॉ. रॉय 66 रुपये से ज़्यादा का परामर्श शुल्क लेते थे, लेकिन किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया। उन्होंने प्रश्न किया, “आज, हमें खुद से पूछना होगा – वही भरोसा क्यों कम हो गया है?” डॉ. सिंह ने चिकित्सा समाज से उस गरिमा, निष्ठा और सामाजिक विश्वास को फिर से प्राप्त करने का आग्रह किया, जो कभी इस महान पेशे की पहचान थी।
प्रसिद्ध चिकित्सा प्रोफेसर और मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत में चिकित्सा के बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने संक्रामक रोगों के युग से लेकर वर्तमान में संचारी और गैर-संचारी रोगों के दोहरे बोझ तक के बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह बदलाव भारतीय डॉक्टरों और शोधकर्ताओं के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों पैदा कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा के लिए एक समग्र, एकीकृत दृष्टिकोण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक एलोपैथिक चिकित्सा को आयुष प्रणालियों और अत्याधुनिक तकनीकी प्रगति के साथ मिश्रित करना समय की मांग है। उन्होंने कहा, “संदेह का समय समाप्त हो गया है। दुनिया एकीकृत चिकित्सा की ओर बढ़ रही है – भावनाओं से नहीं, बल्कि आवश्यकता से।”
डॉ. सिंह ने चिकित्सा विज्ञान में भारत के बढ़ते नेतृत्व पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने डीएनए वैक्सीन, जीन थेरेपी परीक्षणों और स्वदेशी नैफिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं के विकास जैसी हालिया सफलताओं का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “हम अब गति पकड़ नहीं रहे हैं। हम गति निर्धारित कर रहे हैं।”
अंत में, डॉ. सिंह ने युवा चिकित्सा पेशेवरों से आत्मनिरीक्षण और अनुकूलन का आह्वान किया। उन्होंने एआई-सहायता प्राप्त सर्जरी, रोबोटिक डायग्नोस्टिक्स और टेलीमेडिसिन जैसे तेज़ी से बदलते तकनीकी दौर में “सीखी हुई बातों को भूलकर दोबारा सीखने” के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “यह संपूर्ण चिकित्सा सहयोग से संचालित, संपूर्ण राष्ट्र स्वास्थ्य सेवा का समय है।”
उन्होंने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, “आइए हम डॉ. बी.सी. रॉय को न केवल याद करके, बल्कि उनके मूल्यों – विश्वास, क्षमता और ईमानदारी – को अपनाकर उन्हें सम्मानित करें। भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के सबसे मज़बूत स्तंभों में से एक, आईएमए को इस परिवर्तन का नेतृत्व करना चाहिए।”
Highlights of My Address at the #DoctorsDay celebration organised by the national body of Indian Medical Association #IMA::
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) July 13, 2025
"Invoked Dr. B.C. Roy’s Legacy .
Called for restoring the Doctor-Patient trust which was the hallmark of Dr. B.C. Roy’s times.
One of the greatest traits… pic.twitter.com/bRgPZvsdzV
