वोट चोरी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर पलटवार किया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि पहले बैलट से चुनाव होते थे, तो वोट चोरी नहीं हो सकती थी। बुधवार को सदन में इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और गृहमंत्री के बीच तीखी बहस हुई थी, जहाँ शाह ने एसआईआर (SIR) का भी समर्थन किया और चुनाव आयोग की तारीफ की।
डीके शिवकुमार ने बेसिक नॉलेज पर सवाल उठाया
डीके शिवकुमार ने अमित शाह के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि, “अमित शाह को वोट चोरी की बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। जब बैलट थे, तो वोट चोरी कैसे हो गई। इसकी कोई जरूरत नहीं थी…।” शिवकुमार का इशारा इस तरफ था कि बैलट पेपर के समय वोट चोरी संभव नहीं थी, जबकि मौजूदा तकनीक पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
राहुल गांधी ने फिर साधा निशाना
राहुल गांधी ने गुरुवार को दावा किया कि लोकसभा में बुधवार को अपनी बात रखते हुए गृह मंत्री अमित शाह बहुत ‘नर्वस’ नजर आए। साथ ही उन्होंने कहा कि शाह ने उनके द्वारा दी गई बहस की चुनौती पर कोई जवाब नहीं दिया।
राहुल गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा, “अमित शाह जी कल संसद में बड़े नर्वस थे। उनके हाथ कांप रहे थे, उन्होंने गलत भाषा का इस्तेमाल किया। अमित शाह जी मानसिक रूप से बहुत दबाव में हैं, जो कल पूरे देश ने देखा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने ‘वोट चोरी’ से जुड़ी जो बातें कहीं, उसका गृह मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने अमित शाह को मेरे संवाददाता सम्मेलनों पर बहस करने के लिए सीधी चुनौती दी, जिसका भी कोई जवाब नहीं आया।” राहुल गांधी का कहना था कि सभी जानते हैं कि सच क्या है।
सदन में हुई तीखी बहस
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती दी थी कि वह ‘वोट चोरी’ से संबंधित उनके तीन संवाददाता सम्मेलनों को लेकर उनसे बहस कर लें। निचले सदन में, चुनाव सुधारों पर चर्चा में भाग लेते हुए गृह मंत्री ने राहुल गांधी के हालिया तीन संवाददाता सम्मेलनों का उल्लेख किया था और उनके तथ्यों को असत्य करार दिया था, जिनमें नेता प्रतिपक्ष ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाए थे।
इस पर राहुल गांधी ने कहा था, “अमित शाह जी, मैं आपको चुनौती देता हूं कि मेरे तीनों संवाददाता सम्मेलनों पर बहस कर लेते हैं।” इस चुनौती के जवाब में अमित शाह ने थोड़े तीखे लहजे में कहा, “मैं 30 साल से विधानसभा और संसद में हूं। संसदीय प्रणाली का लंबा अनुभव है। वह कह रहे हैं कि पहले उनकी बात का जवाब दें। आपकी मुंसिफी से संसद नहीं चलेगी। मेरे बोलने का क्रम मैं तय करुंगा। उन्हें धैर्य होना चाहिए। मेरे भाषण का क्रम वो तय नहीं कर सकते।”
