Delhi Pollution: दिल्ली में लगातार खतरनाक स्तर पर बने वायु प्रदूषण और PM2.5 तथा PM10 के चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक सख्त कदम उठाया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों के तहत, अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (GNCTD) के सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को केवल 50% कर्मचारियों को ही ऑफिस बुलाने की अनुमति होगी। शेष 50% कर्मचारियों के लिए तत्काल प्रभाव से वर्क-फ्रॉम-होम अनिवार्य कर दिया गया है।
यह आदेश पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत जारी किया गया है और इसका पालन GNCTD के सभी सरकारी कार्यालयों तथा दिल्ली के अंदर कार्यरत सभी प्राइवेट ऑफिस को करना होगा।
GRAP स्टेज-III के तहत कार्रवाई
CAQM ने वायु गुणवत्ता में सुधार न होने के कारण ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-III के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और हितधारक एडवाइजरी के बाद लिया गया है, जिसके तहत CAQM ने GRAP शेड्यूल में संशोधन किया है। संशोधित नियमों में यह उपाय शामिल है कि GNCTD और NCR राज्य सरकारों को सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालयों को 50% कर्मचारियों के साथ काम करने की अनुमति देने का फैसला लेना होगा, ताकि वाहन प्रदूषण को कम किया जा सके।
सरकारी कार्यालयों में सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को 50% से अधिक स्टाफ को भौतिक रूप से (physically) बुलाने से बचने को कहा गया है, जबकि निजी कार्यालयों को भी यही नियम अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
स्टैगर्ड वर्किंग आवर और सख्त पालन
आदेश के अनुसार, सभी निजी संस्थाओं को जहां संभव हो, स्टैगर्ड वर्किंग आवर (Staggered Working Hours) लागू करने का निर्देश दिया गया है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के आने-जाने के समय को अलग-अलग रखा जाएगा, ताकि पीक आवर्स में ट्रैफिक कम हो। इसके अलावा, सभी संस्थाओं को वर्क-फ्रॉम-होम के मानदंडों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा और कार्यालय आवागमन से जुड़े वाहनों की आवाजाही को न्यूनतम करने का निर्देश दिया गया है। ये कदम परिवहन और ऑफिस से संबंधित गतिविधियों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए उठाए गए हैं।
आवश्यक सेवाओं को छूट
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और GRAP स्टेज-III बना रहने तक प्रभावी रहेगा। हालांकि, अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य प्रतिष्ठान, अग्निशमन सेवाएं, जेल, सार्वजनिक परिवहन, बिजली, पानी, स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण में लगे विभागों/एजेंसियों जैसी आवश्यक सेवाओं को इन निर्देशों से छूट दी गई है। सभी विभागाध्यक्षों और जिला अधिकारियों को निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है, साथ ही उल्लंघन पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 और 16 के तहत कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
