नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की मार लगातार बढ़ती जा रही है और लोगों को इस धुंध की चादर से तुरंत राहत मिलने के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। पिछले नौ दिनों से हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स कई बार 401 से नीचे आया है, फिर भी GRAP-3 प्रतिबंध लागू हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले दो दिनों तक प्रदूषण और स्मॉग का स्तर इसी तरह बना रह सकता है, जबकि शनिवार को हालात और बिगड़ने की संभावना है। गुरुवार देर रात तीन बजे दिल्ली का एक्यूआई 401 तक पहुंच गया था, जिसके बाद थोड़ी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन सुबह 10 बजे भी यह 398 के आसपास ही रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, कुल औसत एक्यूआई 391 दर्ज किया गया। फरीदाबाद में 255, गाजियाबाद 430, ग्रेटर नोएडा 380, गुरुग्राम 302 और नोएडा में 408 का स्तर रहा, जो प्रदूषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
दिल्ली के जिन इलाकों में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया, उनमें वजीरपुर सबसे ऊपर रहा, जहां एक्यूआई 468 पहुंच गया।अशोक विहार में 429, बवाना में 437, बुराड़ी क्रॉसिंग में 412, चांदनी चौक में 405, डीटीयू में 427, द्वारका सेक्टर-8 में 416, जहांगीरपुरी में 445, मुंडका में 440, नेहरू नगर में 420, ओखला फेज-2 में 404, पंजाबी बाग में 424, आरके पुरम में 423, रोहिणी में 438, सीरीफोर्ट में 406, सोनिया विहार में 404 और विवेक विहार में 424 का स्तर दर्ज हुआ। उधर, नोएडा में सेक्टर-116 का एक्यूआई 439, सेक्टर-1 और 125 में 424 और सेक्टर-62 में 347 पाया गया। ग्रेटर नोएडा की स्थिति भी चिंताजनक रही, जहां नॉलेज पार्क-5 में 442 और नॉलेज पार्क-3 में 335 दर्ज किया गया। गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर 443 तक पहुंच गया, जबकि इंदिरापुरम, वसुंधरा और संजय नगर में भी एक्यूआई 420 से ऊपर रहा।
पूर्वानुमान के अनुसार, प्रदूषण का स्तर शुक्रवार को बेहद खराब श्रेणी में रहेगा और 22 नवंबर को इसके गंभीर स्तर पर जाने की आशंका है। 23 नवंबर को हालात फिर से बेहद खराब रहने की भविष्यवाणी की गई है और उसके बाद लगभग छह दिनों तक हवा प्रदूषण की चपेट में ही रहने वाली है। खराब हवा की मुख्य वजह कम हवा की गति है, जो 21 और 22 नवंबर को पांच किलोमीटर प्रति घंटे से भी कम रहेगी। 23 तारीख को दोपहर के समय कुछ समय के लिए हवा की रफ्तार में सुधार हो सकता है, लेकिन उससे बड़े स्तर पर स्मॉग के छंटने की उम्मीद नहीं दिखाई देती।
दिल्ली में इस समय जो जहरीली धुंध की परत बनी हुई है, उसमें पराली के धुएं की भूमिका बहुत कम है। डिसिजन सपोर्ट सिस्टम के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को पराली के धुएं की हिस्सेदारी सिर्फ 2.8 प्रतिशत रही, जबकि वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 17.3 प्रतिशत रही। प्रदूषण नियंत्रण के नियम लागू होने के बावजूद स्थिति में सुधार न होना चिंताजनक है। 11 नवंबर को जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 428 पहुंचा था, तब GRAP-3 लागू किया गया था। इसके बावजूद, 14 नवंबर को औसत एक्यूआई 387 तक गिरने के बाद भी सभी प्रतिबंध यथावत बनाए रखे गए और अब तक यह स्तर कई मौकों पर 400 के ऊपर गया है, जिससे स्पष्ट है कि पाबंदियों के बावजूद हालात बेहतर नहीं हो पा रहे हैं।
