Delhi Car Blast Case: दिल्ली धमाका मामले में हरियाणा स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच गहराई तक पहुँच गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों ने आज सुबह विश्वविद्यालय से जुड़े 25 ठिकानों पर छापेमारी की, जिनमें फरीदाबाद स्थित 70 एकड़ परिसर का ओखला कार्यालय भी शामिल है। दिल्ली ब्लास्ट मामले में यहां काम करने वाले तीन डॉक्टरों की संदिग्ध भूमिका के कारण विश्वविद्यालय जांच के घेरे में आया है।
सरकार के आदेश पर विश्वविद्यालय के वित्तपोषण का फोरेंसिक ऑडिट कराया जा रहा है। एनआईए विस्फोट मामले की जांच कर रही है, जबकि ED और आर्थिक अपराध शाखा विश्वविद्यालय के वित्त और कार्य संचालन के अन्य पहलुओं की जांच कर रही हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और राष्ट्रीय मूल्यांकन परिषद ने इसके मान्यता संबंधी दावों पर संदेह जताया है।
अल-फलाह विश्वविद्यालय की स्थापना 2014 में हुई थी और यह अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत आता है। फरीदाबाद परिसर से बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद होने के बाद यह मामले में सुर्खियों में आया। मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉक्टर मुज़म्मिल के परिसर के बाहर किराए पर लिए गए कमरों में लगभग 2,900 किलोग्राम बम बनाने की सामग्री मिली थी। वहीं, डॉक्टर शाहीन की कार से असॉल्ट राइफल और अन्य हथियार बरामद हुए। लाल किले के पास हुए कार बम धमाके में 13 लोगों की मौत और 20 से अधिक लोग घायल हुए, जबकि चालक डॉ. उमर भी विश्वविद्यालय में काम करता था।
विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि प्रबंधन इस “दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम” की निंदा करता है और दो डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बावजूद विश्वविद्यालय का इनसे कोई संबंध नहीं है। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले निराधार रिपोर्टों की भी कड़ी निंदा की।
