भारत में कोविड-19 टीकाकरण और अचानक हुई मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है। इस संबंध में कई एजेंसियों द्वारा की गई जांच और अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि कोविड टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) द्वारा किए गए अध्ययनों से यह भी पता चला कि गंभीर दुष्प्रभावों की घटनाएं अत्यंत कम हैं। हृदय से संबंधित अचानक मौतों के पीछे आनुवंशिक कारण, जीवनशैली, पहले से मौजूद बीमारियां और कोविड के बाद की जटिलताएं जिम्मेदार हो सकती हैं।
इन एजेंसियों ने विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष की उम्र के युवाओं में अचानक मौतों के कारणों को जानने के लिए दो अध्ययन किए। पहला अध्ययन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) द्वारा 2023 में देशभर के 47 अस्पतालों में किया गया, जिसमें पाया गया कि कोविड टीकाकरण से अचानक मौत का खतरा नहीं बढ़ता।
दूसरा अध्ययन AIIMS, नई दिल्ली द्वारा ICMR के सहयोग से चलाया जा रहा है, जो यह जानने की कोशिश कर रहा है कि युवाओं में अचानक मौतों के सामान्य कारण क्या हैं। शुरुआती विश्लेषण में पाया गया कि मायोकार्डियल इंफार्क्शन (दिल का दौरा) प्रमुख कारण है, और इसके पैटर्न में कोई असामान्य बदलाव नहीं आया है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि टीकाकरण और मौतों के बीच झूठे और अटकलों पर आधारित दावे लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर अनावश्यक डर पैदा कर सकते हैं, जिससे जनस्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। भारत सरकार साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य शोध को बढ़ावा देती है और नागरिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
