Al-Falah University: दिल्ली में सोमवार शाम लाल किले के पास कार में हुए भीषण धमाके ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। अब तक इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मामले की जांच आगे बढ़ने के साथ ही फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम भी इसमें सामने आया, जिसके बाद संस्थान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। ताज़ा जानकारी के मुताबिक एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता तुरंत प्रभाव से रद्द कर दी है, जबकि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद यानी NAAC ने भी यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है।
एआईयू ने अपने बयान में कहा है कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह साफ हो गया है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थिति और गतिविधियां मानकों के अनुरूप नहीं हैं। इसी कारण संस्था को दी गई सदस्यता रद्द की जा रही है और यूनिवर्सिटी अब किसी भी आधिकारिक, अकादमिक या प्रचारात्मक गतिविधि में एआईयू का नाम या लोगो इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। साथ ही निर्देश दिया गया है कि एआईयू का लोगो उनकी आधिकारिक वेबसाइट से तुरंत हटाया जाए। यह कदम इस बात का संकेत है कि उच्च शिक्षा संस्थानों की निगरानी करने वाले निकाय अब किसी भी प्रकार की लापरवाही या संदिग्ध गतिविधि को सहन करने के मूड में नहीं हैं।
इसी के समानांतर NAAC ने भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी को नोटिस भेजकर सात महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मांगे हैं। यह नोटिस यह जानने के लिए भेजा गया है कि यूनिवर्सिटी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों न की जाए। शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली NAAC देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन और ग्रेडिंग करने की जिम्मेदारी निभाती है, और इसका नोटिस किसी भी संस्थान के लिए गंभीर संकेत माना जाता है। लाल किले के पास हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई पहलुओं की पड़ताल की जा रही है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी फरीदाबाद के धौज गांव में 70 एकड़ में फैली एक निजी विश्वविद्यालय है। संस्थान की वेबसाइट के अनुसार यह अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित होती है। विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. भूपिंदर कौर आनंद हैं, जो पेशे से डॉक्टर हैं, जबकि रजिस्ट्रार के पद पर प्रो. मोहम्मद परवेज कार्यरत हैं। धमाके से जुड़े मामले में नाम सामने आने के बाद से यह संस्थान जांच एजेंसियों, शिक्षा निकायों और मीडिया के केंद्र में आ गया है। आने वाले दिनों में जांच की दिशा और प्रशासनिक कार्रवाई यह तय करेगी कि यूनिवर्सिटी के खिलाफ आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।
