मोकामा: बिहार की सियासत एक बार फिर मोकामा के नाम पर सुलग उठी है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने मोकामा पहुंचते ही राजनीति का माहौल बदल दिया। उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा — “एक-एक व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, इसलिए हमने मोकामा के चुनाव की कमान संभाल ली है।”
ललन सिंह ने लोगों से कहा कि वे अनंत सिंह की तरह जोश और जुनून के साथ चुनाव में उतरें और उन्हें भारी मतों से जिताएं। उन्होंने जनता से आह्वान किया — “अनंतमय कर दीजिए पूरे मोकामा को, और साजिश करने वालों का मुंह काला कर दीजिए।” उनके इस बयान ने चुनावी माहौल को पूरी तरह गर्म कर दिया है। अब सबकी नजरें मोकामा सीट पर टिक गई हैं कि क्या यह रणनीति असर दिखाएगी?
मोकामा का नाम आते ही एक ही चेहरा याद आता है — अनंत सिंह, जिन्हें लोग प्यार से “छोटे सरकार” कहते हैं। इस बार वे जेल में हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी के बिना भी मोकामा की राजनीति उन्हीं के इर्द-गिर्द घूम रही है। साल 2020 में भी अनंत सिंह जेल में रहते हुए चुनाव जीते थे। उस जीत ने साबित किया था कि मोकामा में अनंत सिंह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक भावना हैं।
हालांकि, इस बार हालात कुछ अलग हैं। अनंत सिंह की गैरमौजूदगी ने जदयू के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। ललन सिंह अब इस खालीपन को भरने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि एक भावनात्मक दांव है — जनता के बीच अनंत सिंह की लोकप्रियता को वोटों में बदलने का प्रयास।
इसी बीच, मोकामा में जन सुराज पार्टी समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद सियासत और तेज हो गई है। इस मामले में अनंत सिंह और उनके दो सहयोगी मणिकांत ठाकुर तथा रंजीत राम को गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले दुलारचंद यादव और अनंत सिंह के समर्थकों के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद यह मामला हत्या में बदल गया।
पुलिस ने शनिवार देर रात अनंत सिंह को उनके बरह स्थित आवास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही जदयू की रणनीति बदल गई है। अब पार्टी पूरी ताकत से मैदान में है और ललन सिंह के नेतृत्व में अनंत सिंह की छवि को भावनात्मक रूप से पुनर्जीवित करने की कोशिश हो रही है।
मोकामा की यह सीट अब सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा और वफादारी की परीक्षा बन चुकी है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या ललन सिंह का “अनंतमय मोकामा” वाला कार्ड जादू दिखा पाएगा, या अनंत सिंह की गैरमौजूदगी में राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे।
