राजस्थान HC क्लर्क भर्ती घोटाला: चार जूनियर क्लर्क हाई-टेक नकल में गिरफ्तार, स्पाय कैमरा और ब्लूटूथ से की थी चीटिंग

Rajasthan High Court Clerk Recruitment Scam: राजस्थान हाईकोर्ट के चार जूनियर क्लर्क को वर्ष 2022 की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में एडवांस्ड तकनीक का इस्तेमाल कर नकल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

Rajasthan High Court Clerk Recruitment Scam: राजस्थान हाईकोर्ट के चार जूनियर क्लर्क को वर्ष 2022 की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में एडवांस्ड तकनीक का इस्तेमाल कर नकल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) की जांच में यह खुलासा हुआ कि नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस और जासूसी कैमरे का इस्तेमाल किया गया था। गिरफ्तारी के बाद चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 10 दिसंबर तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।

एसओजी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान क्लर्क दिनेश कुमार, मनोज कुमार बोराण, रमेश कुमार और मनीष बुडिया के रूप में हुई है। ये सभी आरोपी राजस्थान की विभिन्न अदालतों में कार्यरत थे। एसओजी अधिकारियों के अनुसार, इन व्यक्तियों ने अनुचित तरीकों से जूनियर न्यायिक सहायक, क्लर्क ग्रेड-II और सहायक क्लर्क ग्रेड-II परीक्षाओं में अपना चयन सुनिश्चित किया था।

स्पेन से मंगाया गया था ‘स्पाई कैमरा’

कई भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद जांच शुरू हुई थी। इसी दौरान ईओ-आरओ परीक्षा में अनियमितताओं की जांच करते समय, एसओजी को एक परिष्कृत नकल नेटवर्क का पता चला, जो हाईकोर्ट जूनियर क्लर्क परीक्षा तक फैला हुआ था। डीआईजी एसओजी परीश देशमुख की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था।

एडीजी एसओजी विशाल बंसल ने बताया कि तकनीकी विश्लेषण और पूछताछ से पता चला कि यह एक सुव्यवस्थित नेटवर्क था, जिसका मास्टरमाइंड पौरव कालेर और उसका सहयोगी तुलसाराम कालेर कर रहे थे। कालेर ने उम्मीदवारों से चयन की गारंटी के बदले में ₹3 लाख से ₹5 लाख तक की बड़ी रकम वसूली थी। इस प्लान को अंजाम देने के लिए कालेर ने ₹90,000 में स्पेन से एक उन्नत ‘इनोवा केम ड्रॉप बॉक्स’ जासूसी कैमरा खरीदा था।

रियल टाइम में भेजा जाता था प्रश्न पत्र

जांच में पता चला कि नकल की योजना के तहत गिरोह के दो सदस्य (जितेंद्र उर्फ अक्षय जाट और राजेश कुमार बिजर्निया) परीक्षा के दौरान उम्मीदवार बनकर शामिल हुए। प्रश्नपत्र मिलने के तुरंत बाद उन्होंने जासूसी कैमरे का इस्तेमाल करके उसका स्क्रीनशॉट (Screenshot) लिया और वास्तविक समय (Real Time) में मास्टरमाइंड कालेर को भेजा। कालेर ने सॉल्वर की एक टीम बनाई थी जो जल्दी से पेपर हल करती थी। इसके बाद ब्लूटूथ डिवाइस पहने उम्मीदवारों को सवालों के सही जवाब बताए जाते थे। नियुक्ति आदेश मिलने के बाद चयनित उम्मीदवारों ने मास्टरमाइंड को तय राशि का भुगतान किया था।

इस हाई-टेक धोखाधड़ी रैकेट के संबंध में अब तक एसओजी ने मास्टरमाइंड कालेर समेत 21 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। एसओजी अभी भी इस मामले से जुड़े वित्तीय लेन-देन की विस्तृत जांच कर रहा है।

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