Serial Killer Sohrab Arrested: दिल्ली की तिहाड़ जेल से पैरोल पर बाहर आने के बाद से फरार चल रहे लखनऊ के कुख्यात गैंगस्टर सोहराब को पुलिस ने कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया है। सोहराब कुख्यात सीरियल किलर भाइयों – सलीम, सोहराब और रुस्तम – में से एक है, जिनकी दहशत लखनऊ से दिल्ली तक थी। यही वजह थी कि सोहराब के फरार होने पर व्यापारियों के साथ ही उसके विरोधियों में भी डर देखा गया। लखनऊ के कैंट के कई बड़े व्यापारी उसके एक फोन पर तुरंत रकम पहुंचा देते थे, जिससे लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस के लिए भी सोहराब का फरार रहना एक बड़ी चुनौती बना हुआ था।
सीरियल किलिंग और दहशत का इतिहास
सीरियल किलर भाइयों की दहशत की शुरुआत 2005 में हुई थी, जब सोहराब ने तत्कालीन एसएसपी आशुतोष पाण्डेय को मोबाइल पर चुनौती देकर एक घंटे में तीन हत्याएं की थीं। यह सीरियल किलिंग 2004 में रमज़ान के महीने में इनके सबसे छोटे भाई शहजादे की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी।
सलीम, सोहराब व रुस्तम की दहशत लगातार बढ़ती जा रही थी। इन लोगों ने दिल्ली में दिनदहाड़े एक ज्वेलरी शोरूम में डकैती डाली थी। लखनऊ में उसके गिरोह की मुखबिरी कर रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी सैफी की हत्या इन लोगों ने करवा दी थी। जब कुछ व्यापारियों ने सोहराब के फोन पर वसूली देने से मना कर दिया, तो तीनों भाइयों ने 29 सितंबर 2013 को अमीनाबाद में भाजपा पार्षद पप्पू पाण्डेय की हत्या करवा दी थी।
गिरफ्तारी और जेल से पेशी की शर्तें
फरारी के दौरान सोहराब ने अपने घर वालों से मोबाइल पर कोई बात नहीं की थी। माना जा रहा है कि किसी करीबी की मुखबिरी पर ही दिल्ली पुलिस उसे कोलकाता से गिरफ्तार करने में सफल हुई।
सीरियल किलर भाइयों की दहशत बढ़ने से व्यापारी खुद को सबसे ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रहे थे। एक समय था जब ये लोग साठगांठ से वकील के ज़रिए कोर्ट में इस तरह से पेशी की तारीखें डलवाते थे कि वे हर दूसरे-तीसरे दिन ट्रेन से दिल्ली से लखनऊ आते रहते थे। बाद में कोर्ट ने सीरियल किलर भाइयों को तिहाड़ जेल से पेशी पर आने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होने लगी।
सोहराब ने अपनी दहशत फिर से कायम करने के लिए ही फरार होने की साजिश रची थी, लेकिन एसटीएफ ने इसका भंडाफोड़ कर दिया।
