भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), लॉकर और अन्य बैंकिंग उत्पादों से जुड़े नॉमिनी नियमों में बड़ा बदलाव किया है। ये नए नियम 1 नवंबर 2025 से पूरे देश में लागू हो गए हैं। नए प्रावधान के अनुसार, अब ग्राहक अपने बैंक खाते में अधिकतम चार नॉमिनी बना सकते हैं, जबकि पहले केवल एक ही नॉमिनी की अनुमति थी।
आरबीआई के मुताबिक, ग्राहक हर नॉमिनी के लिए उसका हिस्से का प्रतिशत (share percentage) तय कर सकता है। इससे खाताधारक की मृत्यु के बाद बैंक खाते या एफडी की रकम का बंटवारा पारदर्शी और विवादमुक्त तरीके से हो सकेगा। यह कदम पारिवारिक विवादों और कानूनी झंझटों से बचाने में मदद करेगा।
नॉमिनी बनाना जरूरी नहीं, लेकिन जानकारी देना अनिवार्य
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ग्राहकों के लिए नॉमिनी बनाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन बैंकों के लिए इस सुविधा की जानकारी देना जरूरी होगा। अगर कोई ग्राहक नॉमिनी नहीं बनवाना चाहता है, तो उसे इसके लिए लिखित में आवेदन देना होगा। बैंक किसी भी स्थिति में नॉमिनी न जोड़ने पर खाता खोलने से इनकार नहीं कर सकता।
नॉमिनी जोड़ने और संशोधित करने की प्रक्रिया आसान हुई
आरबीआई ने नॉमिनी जोड़ने, हटाने या संशोधित करने की प्रक्रिया को और आसान बना दिया है। अब बैंक को आवेदन मिलने के तीन कार्यदिवसों के भीतर रसीद जारी करनी होगी। नॉमिनी विवरण बैंक रिकॉर्ड में डिजिटल रूप से दर्ज किया जाएगा और बैंक दस्तावेजों पर ‘Nomination Registered’ का उल्लेख अनिवार्य किया जाएगा।
यह नियम किन पर लागू होगा?
यह नया नियम सभी प्रकार के खातों पर लागू होगा, जिनमें सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), रिकरिंग डिपॉजिट (RD), लॉकर और सेफ कस्टडी आइटम्स शामिल हैं। यानी अब बैंकिंग उत्पादों से जुड़ी सभी सेवाओं में नॉमिनी की प्रक्रिया एक समान होगी।
नए RBI नियम के प्रमुख बिंदु (संक्षेप में)
- एक खाते में अधिकतम 4 नॉमिनी जोड़े जा सकते हैं।
- प्रत्येक नॉमिनी के हिस्से का प्रतिशत तय किया जा सकता है।
- नॉमिनी बनाना वैकल्पिक, लेकिन इसकी जानकारी देना बैंक के लिए अनिवार्य।
- नॉमिनी जोड़ने या बदलने की प्रक्रिया डिजिटल, पारदर्शी और समयबद्ध होगी।
- आवेदन के बाद बैंक को 3 कार्यदिवसों के भीतर रसीद देना अनिवार्य।
आरबीआई का यह नया कदम ग्राहकों के लिए न केवल सुविधा बढ़ाने वाला है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वास को भी मजबूत करेगा। इससे खाताधारक के निधन के बाद धन के दावा प्रक्रिया (claim process) को सरल और तेज़ बनाया जा सकेगा।
