मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर बड़ा विवाद, 50 से अधिक पूर्व जजों ने निंदा की

मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन को हटाने की मांग करते हुए 100 से अधिक सांसदों (MPs) की ओर से लाए गए महाभियोग प्रस्ताव के खिलाफ शुक्रवार को बड़ा विरोध सामने आया। 50 से अधिक पूर्व न्यायाधीशों, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और कई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं।

Over 50 Former Judges Denounce Impeachment Motion Filed Against Madras High Court's Justice Swaminathan
Over 50 Former Judges Denounce Impeachment Motion Filed Against Madras High Court's Justice Swaminathan

मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन को हटाने की मांग करते हुए 100 से अधिक सांसदों (MPs) की ओर से लाए गए महाभियोग प्रस्ताव के खिलाफ शुक्रवार को बड़ा विरोध सामने आया। 50 से अधिक पूर्व न्यायाधीशों, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और कई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं, ने एक कड़े शब्दों वाला पत्र जारी कर इस कदम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इस कोशिश को जजों को डराने-धमकाने की खुली कोशिश बताया।

पूर्व जजों ने कहा कि कार्तिगई दीपम दीप-प्रज्वलन मामले में दिए गए निर्णय के आधार पर जस्टिस स्वामीनाथन को हटाने की कोशिश लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ें हिला देने वाली है। उन्होंने लिखा कि सांसदों द्वारा बताए गए कारण सतही हैं और इतने गंभीर संवैधानिक कदम के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं हैं।

महाभियोग की कोशिश: ‘आपातकाल जैसे दौर की याद’

पत्र में पूर्व जजों ने इस कोशिश को न्यायपालिका को कमजोर करने वाली एक लंबी और चिंताजनक राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बताया। उन्होंने देश के इतिहास के कुछ उदाहरणों का उल्लेख किया, जिनमें आपातकाल के बाद तीन वरिष्ठ जजों की सुपरसिडिंग, जस्टिस एचआर खन्ना की उपेक्षा और पूर्व मुख्य न्यायाधीशों जैसे रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़ और अब सीजेआई सूर्याकांत के खिलाफ चलाए गए राजनीतिक अभियान शामिल हैं।

पूर्व न्यायाधीशों ने चेतावनी दी कि महाभियोग जैसे संवैधानिक प्रावधान का इस्तेमाल आर्म-ट्विस्टिंग और बदले की राजनीति के हथियार के रूप में नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “आज निशाना एक जज है, कल पूरा संस्थान निशाने पर होगा।” पूर्व जजों ने सांसदों, बार काउंसिल, सिविल सोसाइटी और नागरिकों से अपील की कि इस कदम को शुरुआत में ही रोक दिया जाए, क्योंकि जज संविधान के प्रति जवाबदेह होते हैं, न कि राजनीतिक समूहों की पसंद-नापसंद के प्रति।

विवाद का कारण बना आदेश

यह पूरा विवाद तमिलनाडु में तब उठा, जब जस्टिस स्वामीनाथन ने तिरुप्परंकुंद्रम हिल पर दीपथून स्तंभ पर कार्तिगई दीपम का दीप जलाने का आदेश दिया। यह स्थान सिकंदर बादूशा दरगाह के पास है और लंबे समय से संवेदनशील माना जाता रहा है।

याचिकाकर्ताओं की मांग पर जज ने 4 दिसंबर शाम 6 बजे तक दीप जलाने का निर्देश दिया। उन्होंने दलील दी कि यह कदम मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता, लेकिन दीप न जलाने से पहाड़ी पर मंदिर के अधिकार कमजोर हो सकते हैं, क्योंकि वहाँ कथित अतिक्रमण की शिकायतें उठती रही हैं। हालाँकि तमिलनाडु सरकार ने यह कहते हुए कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, आदेश लागू करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस और हिंदू संगठनों के बीच झड़पें भी हुईं।

DMK ने आरोप लगाया कि जज ने 2017 की डिवीजन बेंच के आदेश को उलट दिया है और उनका निर्देश चुनाव से ठीक पहले सांप्रदायिक तनाव भड़का सकता है। पार्टी नेता टीआर बालू ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि बीजेपी राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है।

वहीं तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष नैनार नागेन्द्रन ने महाभियोग प्रस्ताव को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि DMK न्यायिक फैसले तभी स्वीकार करती है जब वे उसके हित में हों। बीजेपी नेता ने कहा कि जस्टिस स्वामीनाथन ने कोई अपराध नहीं किया और मंदिर व पुलिस प्रशासन की विफलता के कारण ही उन्हें आदेश देना पड़ा। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के महाभियोग प्रयास गलत परंपरा कायम करेंगे और संस्थानों के बीच टकराव को जन्म दे सकते हैं।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

© 2025 Breaking News Wale - Latest Hindi News by Breaking News Wale