IndiGo Crisis: देश में जारी इंडिगो संकट के बीच एयरलाइन के चेयरमैन विक्रम सिंह मेहता ने फ्लाइट कैंसिलेशन और इसके कारण यात्रियों को हुई भारी दिक्कतों के लिए बुधवार को सार्वजनिक माफी मांगी। इससे पहले इंडिगो के सीईओ भी माफी जारी कर चुके थे, लेकिन मेहता की यह प्रतिक्रिया पिछले एक हफ्ते से जारी अव्यवस्था और यात्रियों में बढ़ती नाराजगी को देखते हुए काफी अहम मानी जा रही है।
मेहता ने आठ मिनट के वीडियो संदेश में यह स्वीकार किया कि तीन दिसंबर से बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने से यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी और एयरलाइन अपने ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी। उन्होंने कहा कि इंडिगो की सेवाएं अब उम्मीद से पहले ही सामान्य हो गई हैं, लेकिन जो असुविधा हुई उसका कंपनी को गहरा अफसोस है।
चेयरमैन ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संकट किसी तरह की साजिश या जानबूझकर बनाई गई स्थिति नहीं थी। उन्होंने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि एयरलाइन ने पायलटों की थकान संबंधी नए नियमों को प्रभावित करने के लिए कृत्रिम संकट पैदा किया था। मेहता ने साफ कहा कि जुलाई से नवंबर तक एयरलाइन ने पूरी तरह नियमों के अनुसार परिचालन किया है और सुरक्षा से समझौता करने का सवाल ही नहीं उठता।
Message from Vikram Singh Mehta, Chairman and Non-Executive Independent Director of IndiGo pic.twitter.com/sySacxlFq0
— IndiGo (@IndiGo6E) December 10, 2025
वीडियो संदेश में उन्होंने बताया कि यह अव्यवस्था कई अप्रत्याशित घटनाओं के एक साथ होने के कारण पैदा हुई। मामूली तकनीकी खामियां, सर्दियों के दौरान उड़ानों के शेड्यूल में बदलाव, प्रतिकूल मौसम, विमानन नेटवर्क में असामान्य भीड़भाड़ और नए क्रू रोस्टरिंग मानकों ने मिलकर एयरलाइन की प्रणाली पर अचानक भारी दबाव डाल दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई बहाना नहीं है, बल्कि सच्चाई है, और इंडिगो इसे अपनी जिम्मेदारी मानते हुए आगे ऐसी स्थिति न दोहराने के लिए प्रतिबद्ध है।
डीजीसीए इस पूरे घटनाक्रम की जांच कर रहा है। मेहता ने बताया कि एयरलाइन बाहरी तकनीकी विशेषज्ञों को नियुक्त कर रही है ताकि व्यवधान के मूल कारणों का पता लगाया जा सके और भविष्य में ऐसी समस्या दोबारा न आए। उन्होंने कहा कि यह घटना कंपनी के बेदाग रिकॉर्ड पर एक धब्बे की तरह है, और जनता का भरोसा वापस पाना आसान नहीं होगा।
मेहता ने अंत में स्वीकार किया कि एयरलाइन से चूक हुई है और उसे अपने कार्यों से विश्वास दोबारा जीतना होगा—सिर्फ शब्दों से नहीं।
