Right to Disconnect Bill: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में निजी सदस्य विधेयक के रूप में ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025’ पेश किया है। यह विधेयक कर्मचारियों को कार्यालय समय के बाद या छुट्टियों में काम से संबंधित कॉल और ईमेल से अलग होने का कानूनी अधिकार देने की मांग करता है। विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना की जाए, जो कर्मचारियों के इस अधिकार की रक्षा करेगा। सुले ने कहा कि यह कदम वर्तमान डिजिटल संस्कृति के कारण कर्मचारियों में बढ़ रही अत्यधिक थकान (बर्नआउट) को कम करने, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और वर्क-लाइफ संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
इसके साथ ही, सुले ने दो अन्य निजी सदस्य विधेयक भी सदन में पेश किए। इनमें पहला पितृत्व और पैतृक लाभ विधेयक, 2025 है, जो पिता को बच्चे के शुरुआती विकास में भाग लेने का अधिकार देगा। दूसरा विधेयक सामाजिक सुरक्षा (संशोधन) विधेयक, 2025 है, जो श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और न्यायसंगत अनुबंध सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
इससे पहले, कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी कर्मचारी कल्याण पर एक निजी सदस्य विधेयक पेश कर चुके हैं। थरूर ने अपने विधेयक में काम के घंटों को सीमित करने, बर्नआउट से बचने और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणालियां स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। थरूर ने इस दौरान चिंता व्यक्त की थी कि भारत के 51% कार्यबल में 49 घंटे से अधिक काम करने और 78% में बर्नआउट की समस्या देखी गई है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ‘डिस्कनेक्ट करने का अधिकार विधेयक, 2025’ एक निजी विधेयक है। संसद में, मंत्री के अलावा किसी अन्य सदस्य द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले विधेयक को निजी विधेयक कहा जाता है, जबकि मंत्री द्वारा प्रस्तुत विधेयक को सरकारी विधेयक कहा जाता है।
