प्रधानमंत्री कार्यालय का नया नाम ‘सेवा तीर्थ’, राजभवनों को मिलेगा ‘लोक भवन’ का नया नाम

Prime Minister’s Office Renamed ‘Seva Teerth’: दिल्ली में बन रहे नए प्रधानमंत्री कार्यालय को अब “सेवा तीर्थ” नाम दिया जाएगा। इससे जुड़ी जानकारी सरकारी सूत्रों ने साझा की है। यह नया परिसर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है और इसका निर्माण अंतिम चरण में पहुंच चुका है।

Prime Minister's Office Renamed 'Seva Teerth'; Raj Bhavans to Get New Name 'Lok Bhavan'
Prime Minister's Office Renamed 'Seva Teerth'; Raj Bhavans to Get New Name 'Lok Bhavan'

Prime Minister’s Office Renamed ‘Seva Teerth’: दिल्ली में बन रहे नए प्रधानमंत्री कार्यालय को अब “सेवा तीर्थ” नाम दिया जाएगा। इससे जुड़ी जानकारी सरकारी सूत्रों ने साझा की है। यह नया परिसर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है और इसका निर्माण अंतिम चरण में पहुंच चुका है। पहले इसे “एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव” के नाम से जाना जाता था।

अब तक प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास और दफ्तर 7 लोक कल्याण मार्ग पर है, जिसे पहले 7 रेसकोर्स रोड कहा जाता था। लेकिन जैसे-जैसे नया परिसर तैयार हो रहा है, पीएमओ को वहां शिफ्ट करने की तैयारी भी तेज हो चुकी है।

नए परिसर में प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मंत्रिमंडल सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और ‘इंडिया हाउस’ के कार्यालय भी होंगे। अधिकारियों का कहना है कि इस जगह को सेवा, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित की भावना के आधार पर डिजाइन किया गया है। उनका मानना है कि यह सिर्फ भवन परिवर्तन नहीं, बल्कि प्रशासनिक सोच में बदलाव का प्रतीक है।

सरकार द्वारा यह भी कहा गया कि भारत के प्रशासनिक ढांचे में अब दृष्टिकोण “सत्ता” से “सेवा” की ओर बढ़ रहा है। इसी सोच के तहत देशभर में राज्यपालों के आधिकारिक आवास का नाम भी बदलकर “राजभवन” की जगह “लोक भवन” रखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई इमारतों, मार्गों और संस्थानों के नाम बदले गए हैं ताकि वे जनता की सेवा और जिम्मेदारी की भावना को दर्शा सकें। इससे पहले सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर “कर्तव्य पथ” कर दिया था। प्रधानमंत्री आवास का नाम भी वर्ष 2016 में बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया था।

केंद्रीय सचिवालय को भी अब “कर्तव्य भवन” कहा जाता है। सरकार का उद्देश्य यह संदेश देना है कि शासन का असली आधार जनता की सेवा है, और अब हर नाम, हर भवन और हर प्रतीक इसी विचार को मजबूत करता है।

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