World Aids Day 2025: हर साल 1 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को एचआईवी और एड्स के बारे में जागरूक करना, संक्रमित लोगों के प्रति सामाजिक समर्थन बढ़ाना और इस बीमारी से मरने वाले लोगों को याद करना है। यह दिन साल 1988 से लगातार मनाया जा रहा है और आज इसका मकसद सिर्फ जागरूकता ही नहीं, बल्कि एड्स को खत्म करने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूती देना भी है।
एड्स एक ऐसी बीमारी है जो एचआईवी वायरस के कारण होती है। यह वायरस धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। एचआईवी CD4 सेल्स को खत्म करता है और जब शरीर संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है, तब यह स्थिति एड्स कहलाती है। इस बीमारी का अभी तक कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन सही इलाज और समय पर जांच से संक्रमित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है। इसी जागरूकता को फैलाने के लिए हर साल “वर्ल्ड एड्स डे” मनाया जाता है।
विश्व एड्स दिवस की शुरुआत साल 1987 में हुई थी। इसे सबसे पहले WHO के पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर जेम्स डब्ल्यू. बन और थॉमस नेटर ने शुरू किया था। इसके बाद 1 दिसंबर 1988 को पहली बार इसे आधिकारिक रूप से मनाया गया। शुरुआती सालों में विश्व स्वास्थ्य संगठन इस अभियान को चलाता था, लेकिन 1996 के बाद इसे UNAIDS ने आगे बढ़ाया और 1997 में विश्व एड्स अभियान की नींव रखी गई। तब से यह दिन वैश्विक स्तर पर एड्स के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन चुका है।
विश्व एड्स दिवस का महत्व सिर्फ जागरूकता तक सीमित नहीं है। यह दिन समाज में मौजूद भ्रांतियों को खत्म करने और एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए सम्मान, सहानुभूति और अधिकारों की मांग उठाने का समय भी है। आज भी कई जगहों पर लोग इस बीमारी को गलत धारणाओं और सामाजिक डर की वजह से सही तरीके से नहीं समझते, इसलिए यह दिन लोगों को सच बताने और भ्रम दूर करने का अवसर देता है।
साल 2025 के लिए विश्व एड्स दिवस की थीम है — “Overcoming disruption, transforming the AIDS response” जिसका मतलब है “बाधाओं पर विजय, एड्स प्रतिक्रिया में परिवर्तन”। यह थीम दुनिया के देशों को एकजुट होकर एचआईवी-एड्स खत्म करने के लिए तेज और नई रणनीतियों पर काम करने की अपील करती है। यह लक्ष्य है कि साल 2030 तक एड्स को एक वैश्विक खतरे के रूप में समाप्त किया जा सके।
