दिल्ली में हवा ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में: AQI 400 के पार; पराली का योगदान रिकॉर्ड निचले स्तर पर

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा सोमवार सुबह भी बेहद चिंताजनक स्तर पर दर्ज की गई। सुबह 7 बजे राजधानी का समग्र एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के ऊपर पहुंच गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली के 38 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 14 ने “गंभीर” श्रेणी का प्रदूषण रिकॉर्ड किया।

Delhi Air Quality Turns 'Severe' with AQI Over 400; Stubble Burning Impact at Lowest Recorded Level
Delhi Air Quality Turns 'Severe' with AQI Over 400; Stubble Burning Impact at Lowest Recorded Level

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा सोमवार सुबह भी बेहद चिंताजनक स्तर पर दर्ज की गई। सुबह 7 बजे राजधानी का समग्र एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के ऊपर पहुंच गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली के 38 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 14 ने “गंभीर” श्रेणी का प्रदूषण रिकॉर्ड किया। सबसे प्रदूषित इलाकों में वज़ीरपुर सबसे ऊपर रहा, जहां AQI 448 दर्ज किया गया। मंदिर मार्ग का AQI 333 रहा, जो दिल्ली में सबसे कम होने के बावजूद “बहुत खराब” श्रेणी से बाहर नहीं निकल सका।

दिल्ली में प्रदूषण के कारणों की बात की जाए तो इस बार पराली जलाने से मिलने वाले योगदान में भारी कमी दर्ज की गई है। पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई के बाद जलने वाली पराली की घटनाएँ अब नगण्य स्तर पर पहुंच गई हैं। इसी के चलते दिल्ली की हवा में PM2.5 प्रदूषण परालियों के कारणों से काफी कम प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार 12 नवंबर को यह प्रभाव 22.4% के शिखर पर था, जो 22 नवंबर तक घटकर केवल 2.66% रह गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अब प्रदूषण में पराली का योगदान 5% से नीचे ही रहेगा, जबकि पिछले वर्षों में यही आंकड़ा 35% से 48% के बीच तक पहुंच जाता था।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में बड़ी गिरावट आई है। पंजाब में 15 सितंबर से 23 नवंबर तक कुल 5,088 घटनाएँ दर्ज की गईं, जो पिछले साल समान अवधि में दर्ज 10,605 मामलों से आधे से भी कम हैं। हरियाणा में भी इसी अवधि के दौरान केवल 617 मामले सामने आए, जबकि पिछले वर्ष संख्या 1,263 थी। इससे यह स्पष्ट है कि दिल्ली की खराब हवा में इस बार पराली की भूमिका पहले की तुलना में काफी सीमित है।

राजधानी के कई क्षेत्रों में हवा ने “गंभीर” स्तर की चेतावनी पार कर ली है। आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, बुराड़ी क्रॉसिंग, जहांगीरपुरी, विवेक विहार और रोहिणी जैसे इलाकों का AQI 430 से 460 के बीच रिकॉर्ड किया गया। रोहिणी और विवेक विहार 458 के साथ सबसे विषाक्त हवा वाले क्षेत्रों में शामिल रहे। ऐसे हालातों में लोगों को विशेष रूप से सुबह और देर शाम बाहरी गतिविधियों को कम करने की सलाह दी गई है।

दिल्ली की तुलना में देश के अन्य महानगरों में हवा की स्थिति काफी बेहतर नजर आई। चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद की हवा “संतोषजनक” श्रेणी में रही। वहीं मुंबई, पुणे, पटना और लखनऊ “मध्यम” स्तर के प्रदूषण में रहे। प्रदूषण के इस मुकाबले में दिल्ली फिर सबसे खराब AQI के साथ पहले स्थान पर रही।

बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP के नियमों में बदलाव किया है। अब पहले जिन कदमों को उच्च स्तर पर लागू किया जाता था, उन्हें शुरुआती चरण में ही लागू किया जाएगा। वर्क-फ्रॉम-होम को GRAP-4 से हटाकर GRAP-3 के तहत लागू किया गया है, जबकि दफ्तरों के समय में बदलाव अब GRAP-2 का हिस्सा बना दिया गया है। फिलहाल राजधानी में GRAP-3 लागू है, जिसके तहत गैर-जरूरी निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है और पुराने वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध सख्ती से लागू है। स्कूलों में आउटडोर गतिविधियों पर भी रोक लगाने की सलाह दी गई है।

दिल्ली की हवा एक बार फिर स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालने वाले स्तर पर पहुंच चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौसम की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू नहीं किया गया, तो हवा की गुणवत्ता और बिगड़ सकती है। आने वाले दिनों में दिल्लीवासियों को बड़ी सतर्कता और एहतियात बरतने की जरूरत होगी।

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