ED का बड़ा दावा—अल फलाह यूनिवर्सिटी चेयरमैन जवाद सिद्दीकी विदेश भागने की तैयारी में, 13 दिन की रिमांड मंजूर

Al-Falah University: दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट के मामले में फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका सामने आने के बाद जाँच एजेंसियाँ, विशेषकर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED), सक्रिय रूप से जाँच कर रही हैं।

ED Claims Al-Falah University Chairman Jawwad Siddiqui Was Planning to Escape Abroad; Gets 13 Days Custody
ED Claims Al-Falah University Chairman Jawwad Siddiqui Was Planning to Escape Abroad; Gets 13 Days Custody

Al-Falah University: दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट के मामले में फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका सामने आने के बाद जाँच एजेंसियाँ, विशेषकर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED), सक्रिय रूप से जाँच कर रही हैं। इसी कड़ी में, ईडी ने मंगलवार देर रात अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। बुधवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें 13 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया गया है। कोर्ट में पेशी के दौरान जाँच एजेंसी ने खुलासा किया कि सिद्दीकी ने ₹415 करोड़ का बड़ा घोटाला किया है और वह विदेश भागने की फिराक में थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को बताया कि जवाद अहमद सिद्दीकी के पास देश छोड़ने के स्पष्ट इरादे थे, क्योंकि उसके करीबी परिवार के कई सदस्य खाड़ी देशों में रहते हैं। जाँच एजेंसी ने दावा किया कि उसकी भूमिका गंभीर आर्थिक अपराधों से जुड़ी है, और वह जाँच को प्रभावित कर सकता है, साक्ष्य छुपा सकता है या रिकॉर्ड नष्ट कर सकता है, इसलिए उसकी कस्टडी बेहद जरूरी है।

ईडी के अनुसार, इस गिरफ्तारी के पीछे अहम वजह अल फलाह ग्रुप का ₹415 करोड़ का घोटला है। जाँच एजेंसी ने बताया कि अल फलाह ग्रुप ने उसके ट्रस्ट, झूठे एक्रिडिटेशन (NAAC) और गलत रिकग्निशन (UGC) के दावों के सहारे छात्रों और अभिभावकों से भारी भरकम फीस वसूली। अभी तक ₹415.10 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आ चुका है, जो इससे भी अधिक हो सकता है।

यूनिवर्सिटी की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध पाई गई है क्योंकि दिल्ली धमाके में यहाँ के तीन डॉक्टर एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़े हुए थे। इनमें से एक डॉ. उमर नबी ने ही लाल किले के पास धमाका किया था। इसी घटना के बाद से ही जाँच एजेंसियाँ अल फलाह यूनिवर्सिटी की जाँच कर रही हैं, जहाँ जवाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका संदिग्ध पाई गई। सिद्दीकी अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का फाउंडर और मैनेजिंग ट्रस्टी है, और उसी के निर्देश पर एडमिशन रजिस्टर, फीस लेजर, अकाउंट सिस्टम और आईटी डेटा को मैनेज किया जाता था।

दिल्ली पुलिस की दो एफआईआर को आधार बनाते हुए ईडी ने 14 नवंबर को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज किया था। ईडी ने कोर्ट को बताया कि अल फलाह यूनिवर्सिटी छात्रों को झूठ बोलकर दाखिला दिलवाती थी कि उसे यूजीसी से मान्यता प्राप्त है और उसका एनएएसी एक्रेडिटेशन स्टेटस भी सत्यापित है, जबकि ईडी के अनुसार यह दोनों दावे बेबुनियाद पाए गए।

ईडी ने बताया कि साल 1990 में शुरू हुआ अल फलाह ग्रुप देखते-देखते एक विशाल एजुकेशनल संस्थान बन गया, लेकिन उसकी असली वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर है। संस्थान ने जितने एसेट्स और वेल्थ जमा किए हैं, वे किसी भी तरह यूनिवर्सिटी की डिक्लेयर्ड फाइनेंशियल हेल्थ से मेल नहीं खाते। दूसरी तरफ, जवाद अहमद सिद्दीकी के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि उनके क्लाइंट को झूठे केस में फँसाया जा रहा है और दिल्ली पुलिस की दोनों एफआईआर मनगढ़ंत और तथ्यहीन हैं।

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