बिहार चुनाव 2025: जन सुराज पार्टी की हार से प्रशांत किशोर को झटका, बोले- ‘नतीजे आने के बाद सो नहीं पाया’

2025 के चुनाव में जन सुराज पार्टी ने बड़े स्तर पर 243 में से 228 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी सीट जीतने में सफल न हो सकी। कई सीटों पर उम्मीदवारों को बहुत कम वोट मिले। ग्रामीण इलाकों में अपेक्षाकृत बेहतर समर्थन मिलने के बावजूद यह समर्थन जीत में बदल नहीं पाया।

Bihar Elections 2025: Prashant Kishor Hit Hard by Jan Suraaj Party Loss; Says 'Couldn't Sleep After Results Came Out'
Bihar Elections 2025: Prashant Kishor Hit Hard by Jan Suraaj Party Loss; Says 'Couldn't Sleep After Results Came Out'

Bihar Elections Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी को मिली करारी हार ने प्रशांत किशोर को गहरे तक प्रभावित किया है। चुनाव नतीजों के बाद प्रशांत किशोर ने स्वीकार किया कि यह परिणाम उनके लिए बड़ा झटका है और लगातार कई रातों से उन्हें ठीक से नींद नहीं आई है। उन्होंने कहा कि जन सुराज का प्रदर्शन उनकी उम्मीदों से बहुत कम रहा और यह बात उन्हें लगातार परेशान कर रही है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि हार तभी मानी जाती है, जब इंसान प्रयास छोड़ दे। इसलिए वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।

चुनावी रणनीतिकार के रूप में राष्ट्रीय पहचान बनाने के बाद राजनीति में आए प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी राजनीति चुनावी जीत या हार के इर्द-गिर्द नहीं घूमती। उनका कहना है कि बिहार को बदलने की लड़ाई एक चुनाव में हार से खत्म नहीं होती। यह एक लंबा संघर्ष है और वे इसे पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ाते रहेंगे।

228 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार, नहीं मिली एक भी जीत

2025 के चुनाव में जन सुराज पार्टी ने बड़े स्तर पर 243 में से 228 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी सीट जीतने में सफल न हो सकी। कई सीटों पर उम्मीदवारों को बहुत कम वोट मिले। ग्रामीण इलाकों में अपेक्षाकृत बेहतर समर्थन मिलने के बावजूद यह समर्थन जीत में बदल नहीं पाया। प्रशांत किशोर ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि पहली बार चुनाव लड़ने के बावजूद 16.74 लाख वोट मिलना छोटी बात नहीं है। राज्य में उनकी पार्टी को 3.34 प्रतिशत वोट मिले, जिससे उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में प्रदर्शन बेहतर होगा।

जन सुराज पार्टी को लेकर शुरुआती दिनों में यह चर्चा भी थी कि प्रशांत किशोर खुद भी चुनाव लड़ेंगे। कहा जा रहा था कि वे करहगर सीट से मैदान में उतर सकते हैं या फिर तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अंततः उन्होंने स्वयं चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया।

जाति-धर्म की राजनीति से इनकार

प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है कि पार्टी को ज्यादा वोट नहीं मिले, क्योंकि उन्होंने न जाति की राजनीति की, न धर्म का कार्ड खेला। उनका कहना है कि बिहार में नई राजनीति की शुरुआत करना आसान नहीं, लेकिन वे राज्य छोड़कर जाने वाले नहीं हैं। उन्होंने दोहराया कि जन सुराज का काम पहले की तरह जारी रहेगा और आने वाले समय में वे इसे और मजबूत करेंगे।

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