Delhi Car Blast Case: अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कसता गया, चेयरमैन जव्वाद अहमद मनी लॉन्ड्रिंग में गिरफ्तार

Delhi Car Blast Case: ईडी की जांच की शुरुआत दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज की गई दो FIR से हुई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने के लिए NAAC ग्रेडिंग और UGC मान्यता को लेकर झूठे दावे किए।

Al-Falah University
Al-Falah University

Delhi Car Blast Case: दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट के बाद जाँच एजेंसियों का शिकंजा हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर लगातार कसता जा रहा है। दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों ने जब से इस यूनिवर्सिटी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी शुरू की है, तब से कई अहम खुलासे सामने आए हैं। इसी सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जव्वाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) 2002 की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया। ईडी ने यह कार्रवाई उन साक्ष्यों की विस्तृत जांच के बाद की, जो पिछले दिनों अल-फलाह ग्रुप के ठिकानों पर की गई तलाशी के दौरान बरामद हुए थे।

यूनिवर्सिटी पर धोखाधड़ी का आरोप

ईडी की जांच की शुरुआत दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज की गई दो FIR से हुई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने के लिए NAAC ग्रेडिंग और UGC मान्यता को लेकर झूठे दावे किए। जांच के दौरान यह भी पुष्टि हुई कि यूनिवर्सिटी ने UGC Act, 1956 की धारा 12(B) के तहत मान्यता होने का दावा किया, जबकि UGC ने आधिकारिक रूप से स्पष्ट किया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल धारा 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी है और उसने कभी 12(B) के लिए आवेदन भी नहीं किया। इस आधार पर यूनिवर्सिटी किसी प्रकार के अनुदान की पात्र नहीं थी। गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों ने जव्वाद सिद्दीकी को मेडिकल जांच के बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मृदुल गुप्ता के समक्ष पेश किया।

फंड का दुरुपयोग और शेल कंपनियों तक तार

अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट, जिसके अधीन यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थान आते हैं, वर्ष 1995 में स्थापित किया गया था। जवाद सिद्दीकी इसकी स्थापना के समय से ही पहले ट्रस्टी और मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं। 1990 के दशक से यह ग्रुप तेजी से फैला, लेकिन ईडी की जांच में सामने आया कि इतना बड़ा विस्तार ठोस वित्तीय आधार पर खड़ा नहीं था। 18 नवंबर को दिल्ली और हरियाणा में 19 स्थानों पर की गई तलाशी में ईडी को कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और 48 लाख रुपये से अधिक नकद बरामद हुआ। जांच से पता चला कि ट्रस्ट द्वारा अर्जित धन का बड़ा हिस्सा परिवार से जुड़ी कंपनियों में डायवर्ट किया गया था। कई निर्माण और कैटरिंग कॉन्ट्रैक्ट सीधे सिद्दीकी की पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए थे, जिससे फंड के दुरुपयोग की पुष्टि होती है।

तलाशी में ग्रुप से जुड़ी कई शेल कंपनियों की पहचान भी हुई है, जिनके माध्यम से फंड्स की लेयरिंग और मनी रूट्स को छिपाने की कोशिश की गई थी। ईडी का दावा है कि उपलब्ध साक्ष्य यह दिखाने के लिए पर्याप्त हैं कि जव्वाद सिद्दीकी ने न केवल ट्रस्ट पर पूर्ण नियंत्रण रखा, बल्कि धन के दुरुपयोग, लेयरिंग और अवैध हस्तांतरण जैसी गतिविधियों में केंद्रीय भूमिका निभाई। इन सभी सबूतों को ध्यान में रखते हुए ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में रिमांड की मांग की है, ताकि आगे की जांच को तेज किया जा सके।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

© 2025 Breaking News Wale - Latest Hindi News by Breaking News Wale