Sheikh Hasina Verdict: शेख हसीना के खिलाफ चल रहे बहुचर्चित मुकदमे पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री को मानवता के खिलाफ अपराध और हत्या जैसे पाँच गंभीर आरोपों में दोषी पाते हुए मौत की सजा दी है। तीन सदस्यीय पीठ द्वारा तैयार किया गया यह फैसला 453 पन्नों में दर्ज है, जिसे ट्राइब्यूनल के प्रमुख न्यायाधीश जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार ने पढ़कर सुनाया।
अदालत का कहना है कि मामला अत्यंत जटिल और विस्तृत था, इसलिए फैसला भी छह अलग-अलग खंडों में सुनाया गया। यह निर्णय इसलिए भी अभूतपूर्व है क्योंकि बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार किसी ऐसे नेता के खिलाफ इस स्तर पर सजा दी गई है जिसने देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद पर रहते हुए सत्ता चलाई हो। ट्राइब्यूनल ने शेख हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमांन खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन के खिलाफ भी अपना फैसला सुनाया, जिससे यह मामला देश की राजनीति और न्यायिक व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक मोड़ बन गया है।
अदालत के अनुसार, शेख हसीना पर लगे आरोपों की गहन समीक्षा करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि उन्होंने कई अवसरों पर भड़काऊ भाषण दिए, जिनसे हिंसा को बढ़ावा मिला। इसके अतिरिक्त अदालत ने यह माना कि उन्होंने कथित तौर पर हत्याओं का आदेश दिया और अत्याचारों को रोकने या दोषियों को सजा दिलाने में विफल रहीं। इन सभी आरोपों पर विचार करने के बाद ट्राइब्यूनल ने कहा कि पहले आरोप के तहत उन्हें उम्रकैद का प्रावधान है, लेकिन अन्य आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई जाती है। अदालत के इस फैसले के बाद से पूरे बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है, क्योंकि यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जब देश पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और व्यापक प्रदर्शनों का सामना कर रहा है।
#BREAKING
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) November 17, 2025
Sheikh Hasina found guilty by #Bangladesh tribunal
Bangladesh’s tribunal says Sheikh Hasina deserves maximum punishment for crimes against humanity during last year’s uprising
Hasina who fled to Delhi after her government collapsed, has called the charges false,… pic.twitter.com/FZJQBpS9Dy
फैसले में सिर्फ शेख हसीना ही नहीं, उनके पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमांन खान कमाल पर भी कठोर टिप्पणी की गई है। अदालत ने उन्हें भी मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई है, हालांकि कमाल फिलहाल फरार बताए जा रहे हैं। इसके विपरीत, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन को सरकारी गवाह बनने के कारण राहत दी गई है और उन्हें पाँच वर्ष की सजा के बाद रिहा करने का आदेश दिया गया है। अदालत ने साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि शेख हसीना और असदुज्जमांन खान कमाल की चल-अचल संपत्तियों को जब्त करके राज्य के नाम किया जाए। ट्राइब्यूनल का यह फैसला दोपहर 12:30 बजे पढ़ना शुरू हुआ और लगभग ढाई घंटे तक अदालत में पूरी कार्यवाही चली।
अदालत ने अपने आदेश में उन परिवारों को भी राहत देने पर जोर दिया है जो 2024 के छात्र प्रदर्शनों में हिंसा का शिकार बने थे। जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई प्रदर्शनकारी मारे गए और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। ट्राइब्यूनल ने सरकार को निर्देश दिया है कि मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए और घायलों को उनकी चोटों और नुकसान की गंभीरता के आधार पर पर्याप्त राहत उपलब्ध कराई जाए। अदालत का कहना है कि राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह प्रदर्शनकारियों और उनके परिवारों को न्याय उपलब्ध कराए तथा उन पर हुए अत्याचारों की भरपाई सुनिश्चित करे।
