अशोक सिंघल के ‘गोभी फार्मिंग’ पोस्ट पर भड़का विवाद, शशि थरूर ने कहा- हिंदू धर्म नरसंहारों का समर्थन नहीं करता

असम के मंत्री अशोक सिंघल की एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर राजनीतिक बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिंघल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बिहार चुनाव जीत के बाद “बिहार में गोभी फार्मिंग को मंज़ूरी” लिखकर गोभी के खेत की एक तस्वीर साझा की थी।

Ashok Singhal's 'Cauliflower Farming' Post Ignites Firestorm; Shashi Tharoor Says 'Hinduism Does Not Support Massacres'
Ashok Singhal's 'Cauliflower Farming' Post Ignites Firestorm; Shashi Tharoor Says 'Hinduism Does Not Support Massacres'

असम के मंत्री अशोक सिंघल की एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर राजनीतिक बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिंघल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बिहार चुनाव जीत के बाद “बिहार में गोभी फार्मिंग को मंज़ूरी” लिखकर गोभी के खेत की एक तस्वीर साझा की थी।

विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह टिप्पणी 1989 के भागलपुर नरसंहार में मुसलमानों की हत्या को ‘महिमामंडित’ कर रही है। इस मामले में अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी कूद पड़े हैं, जिन्होंने रविवार को इस पोस्ट की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि न तो हिंदू धर्म और न ही राष्ट्रवाद ऐसे नरसंहारों को उचित ठहराता या उनका समर्थन करता है।

थरूर ने की कड़ी निंदा

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस पोस्ट की तीखी निंदा करते हुए कहा कि न हिंदू धर्म और न भारतीय राष्ट्रवाद किसी भी तरह की हिंसा या नरसंहार को उचित ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि वह किसी समुदाय का प्रतिनिधि नहीं, लेकिन एक गर्वित हिंदू होने के नाते यह साफ कहना जरूरी है कि इस तरह की सोच न धार्मिक मूल्यों से मेल खाती है और न राष्ट्रीय आदर्शों से।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इसे भारत की राजनीतिक भाषा का “चौंकाने वाला नया निम्न स्तर” बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी केवल राजनीतिक विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि एक दर्दनाक ऐतिहासिक त्रासदी का मज़ाक उड़ाती है। गोगोई ने सीधे तौर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर आरोप लगाया कि राज्य में इस मानसिकता को बढ़ावा उन्हीं के नेतृत्व में मिल रहा है।

टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने भी इस पोस्ट को “नरसंहार का साफ-साफ महिमामंडन” बताया और कहा कि चिंता की बात यह है कि इसे किसी बाहरी या हाशिए पर पड़े व्यक्ति ने नहीं, बल्कि एक सत्ताधारी पार्टी के मंत्री ने साझा किया है।

अशोक सिंघल की पोस्ट को लेकर बढ़ता राजनीतिक बवाल यह संकेत देता है कि पुरानी त्रासदियों से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाज़ी आने वाले दिनों में और गरमाहट ला सकती है। सत्ता पक्ष की ओर से इस विवाद पर अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, जबकि विपक्ष इसे नैतिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर गंभीर मुद्दा बता रहा है।

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