इजरायल-हमास युद्ध पर ब्रेक के बाद पुतिन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई लंबी बातचीत, गाजा और ईरान पर हुई चर्चा

Putin Netanyahu Phone Call: इज़रायल और हमास के बीच युद्ध पर लगी रोक के बाद मध्य पूर्व में हालात काफी हद तक शांत हुए हैं। इसी माहौल के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई।

Putin and Netanyahu Resume Long-Form Talks, Focusing on Gaza Situation and Iran
Putin and Netanyahu Resume Long-Form Talks, Focusing on Gaza Situation and Iran

Putin Netanyahu Phone Call: इज़रायल और हमास के बीच युद्ध पर लगी रोक के बाद मध्य पूर्व में हालात काफी हद तक शांत हुए हैं। इसी माहौल के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने गाज़ा की वर्तमान स्थिति, ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सीरिया में जारी घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा की। रूस और इज़रायल ने इस बातचीत को लेकर संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि क्षेत्रीय स्थिरता और आगे की शांति प्रक्रिया पर भी विचार हुआ।

इज़रायली मीडिया के मुताबिक, बातचीत की पहल पुतिन ने की थी। नेतन्याहू ने भी पुतिन के साथ कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की। इससे पहले दोनों के बीच सितंबर में बात हुई थी, जब पुतिन ने अमेरिकी सीजफायर प्रस्ताव पर नेतन्याहू से स्थिति की जानकारी ली थी। रूस ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में एक ड्राफ्ट प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें उसने अमेरिका द्वारा ट्रंप के गाज़ा पीस प्लान को चुनौती दी है। रूस का कहना है कि उसका प्रस्ताव दुश्मनी को पूरी तरह खत्म करने और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

इस बीच ट्रंप के 20 प्वाइंट वाले शांति प्लान का पहला चरण सफल माना जा रहा है। इज़रायल और हमास ने अक्टूबर में इस प्लान पर सहमति जताई थी, जिसके बाद हमास ने इज़रायली बंदियों को रिहा किया था और इज़रायल ने भी कई फ़िलिस्तीनी कैदियों को छोड़ दिया था। अमेरिकी अधिकारियों ने गाज़ा में 20 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात करने की योजना रखी थी, लेकिन ट्रंप ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। ट्रंप ने इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, कतर, तुर्किये और अज़रबैजान जैसे देशों से भी क्षेत्र में संभावित सहयोग देने पर चर्चा की है।

युद्धविराम के बाद कूटनीतिक गतिविधियां फिर से तेज़ हो चुकी हैं। क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए बड़े देशों की सक्रियता बढ़ी है और ऐसे में पुतिन और नेतन्याहू की बातचीत को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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