Delhi Red Fort Blast: राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच अब एक दिलचस्प और गंभीर मोड़ ले चुकी है। दिल्ली पुलिस को घटनास्थल से 9mm कैलिबर के तीन कारतूस मिले हैं—दो जिंदा और एक खाली खोखा। हैरानी की बात यह है कि कारतूस तो मिल गए, लेकिन उन्हें चलाने वाला हथियार मौके से गायब है। 9mm पिस्टल आम नागरिकों के पास नहीं होती, यह हथियार सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए सवाल उठता है कि यह कारतूस वहां कैसे पहुंचे?
पुलिस ने मौके पर मौजूद सभी पुलिसकर्मियों के हथियारों और कारतूसों की जांच करवा ली, लेकिन किसी का कारतूस मिसिंग नहीं मिला। अब जांच इस दिशा में बढ़ रही है कि क्या ये कारतूस धमाके के बाद i20 कार से गिर सकते थे या यह किसी गहरी साजिश का हिस्सा है। हथियार का गायब होना और कारतूस मिलना दोनों मिलकर जांच को और पेचीदा बना रहे हैं।
ब्लास्ट के तुरंत बाद का वीडियो सामने आया
इस बीच ब्लास्ट के तुरंत बाद का CCTV फुटेज सामने आया है। वीडियो में लोग घायलों को रेहड़ी पर डालकर और ई-रिक्शा से अस्पताल पहुंचाते दिखाई देते हैं, जबकि पीछे वाहनों में आग भड़कती दिख रही है।
फरीदाबाद यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ पूरा खेल
सबसे महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी उमर की i20 कार करीब 43 स्थानों के CCTV में देखी गई है। जांच में पाया गया कि 29 और 30 अक्टूबर को यह कार फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में खड़ी थी। 30 अक्टूबर को उमर कार लेकर वहां से फरार हो गया, जबकि उसका साथी मुजम्मिल 28 अक्टूबर को ही गिरफ्तार हो चुका था। इसी से बड़ा सवाल उठता है—क्या फरीदाबाद और कश्मीर पुलिस ने समय रहते यूनिवर्सिटी का CCTV चेक किया? अगर उस समय कार की लोकेशन का पता लगाया जाता, तो एजेंसियां उमर और उसकी कार को पहले ही ट्रैक कर सकती थीं।
जांच के अनुसार उमर 9 नवंबर को पहली बार दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर दिखा। 10 नवंबर की सुबह 8 बजे कार दिल्ली में दाखिल हुई और कई वीवीआईपी इलाकों से गुजरने के बाद लाल किला पहुंची। एजेंसियों के पास मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद उमर की जानकारी पहले से थी—अगर फरीदाबाद में जांच तेज होती, तो शायद यह ब्लास्ट टाला जा सकता था।
यह मामला अब सुरक्षा चूक, समय पर प्रतिक्रिया न होने और आतंकियों की रणनीति—तीनों पहलुओं को उजागर कर रहा है।
