CPEC Project: पाकिस्तान ने अपनी सबसे बड़ी आर्थिक उम्मीद को खुद ही कमजोर कर दिया है। देश के वरिष्ठ मंत्री अहसान इकबाल ने यह स्वीकार कर लिया कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) जैसी 60 अरब डॉलर की महत्त्वपूर्ण परियोजना से पाकिस्तान कोई ठोस लाभ नहीं उठा सका।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, इकबाल ने माना कि पाकिस्तान बार-बार अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के मौके गंवाता रहा और सीपीईसी जैसी रणनीतिक परियोजना को भी राजनीति, कुप्रबंधन और झूठे प्रचार की वजह से गलत दिशा में धकेल दिया गया। इसी का परिणाम है कि चीन की कंपनियां धीरे-धीरे पाकिस्तान से दूरी बनाने लगी हैं, जबकि चीन भी अब पहले की तरह खुलकर मदद करने की स्थिति में नहीं है।
मंत्री के अनुसार, पिछली सरकार ने चीनी निवेश को तोड़-मरोड़कर पेश किया, जिससे निवेशकों का विश्वास टूट गया और वे देश छोड़ने पर मजबूर हो गए। सीपीईसी, जो चीन के शिनजियांग को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाली ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का प्रमुख आधार माना जाता है, पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और अव्यवस्थित नीतियों की भेंट चढ़ गया। यह परियोजना, जो पाकिस्तान के आर्थिक भविष्य के लिए उम्मीद की किरण बन सकती थी, अब अधूरी और अनिश्चितताओं से घिरी हुई है। स्पष्ट रूप से यह स्थिति दिखाती है कि सीपीईसी ने पाकिस्तान को नहीं छोड़ा, बल्कि पाकिस्तान ने ही अपनी सबसे बड़ी आर्थिक खिड़की बंद कर दी।
पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा आयोजित ‘डेटाफेस्ट’ सम्मेलन के दौरान 11 नवंबर को दिए गए संबोधन में अहसान इकबाल ने कहा कि देश सीपीईसी से अपेक्षित लाभ नहीं ले पाया, और उन्होंने इस विफलता का दोष पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पर डाला। उन्होंने कहा कि चीन ने कठिन समय में पाकिस्तान की मदद की, लेकिन राजनीतिक विरोधियों ने चीनी निवेश को बदनाम करने की कोशिश की, जिसके कारण चीनी कंपनियों को पाकिस्तान छोड़ना पड़ा। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि किसी वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री द्वारा इस तरह की खुली स्वीकारोक्ति बेहद दुर्लभ है, जिसमें यह माना गया हो कि सीपीईसी अपने उद्देश्य पूरे नहीं कर सका।
