Pakistan Constitutional Amendment: पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे बड़े संवैधानिक संशोधनों में से एक को लागू करने की तैयारी में है। सोमवार, 11 नवंबर को संसद में पेश किए गए 27वें संवैधानिक संशोधन पर बहस शुरू हो चुकी है। इस बिल के पारित होने के बाद देश में सत्ता संतुलन पूरी तरह बदल जाएगा। प्रस्तावित संशोधन से आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को और अधिक शक्तिशाली बना दिया जाएगा, जबकि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित किया जाएगा। विपक्षी दलों ने इसे “सेना के सामने सरकार का आत्मसमर्पण” बताया है और देशभर में विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
सेना को सुप्रीम बनाने की तैयारी
रिपोर्ट के अनुसार, इस संशोधन के तहत पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव किया जा रहा है। मौजूदा चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (JCSC) का पद 27 नवंबर 2025 से खत्म कर दिया जाएगा और उसकी जगह चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) नामक नया और शक्तिशाली पद बनाया जाएगा। यह पद सीधे आर्मी चीफ के नियंत्रण में होगा। अब थलसेना प्रमुख ही नौसेना और वायुसेना का भी सर्वोच्च अधिकारी बनेगा।
CDF के पास रक्षा बलों से जुड़ी सभी नियुक्तियों, प्रमोशन, और ऑपरेशनों पर नियंत्रण रहेगा। इतना ही नहीं, उन्हें पाकिस्तान की परमाणु सेना (न्यूक्लियर फोर्स) के प्रमुख की नियुक्ति का अधिकार भी मिलेगा। इसके साथ ही फील्ड मार्शल रैंक को आजीवन पद का दर्जा देने की भी योजना है, जिससे जनरल आसिम मुनीर को जीवनभर इस पद से जुड़ी सुविधाएं मिलती रहेंगी।
सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां होंगी सीमित
संविधान संशोधन के जरिए पाकिस्तान में एक नया न्यायिक ढांचा भी तैयार किया जा रहा है। फेडरल कॉन्स्टिट्यूशन कोर्ट (Federal Constitution Court) नाम से एक अलग संवैधानिक न्यायालय बनाया जाएगा, जो संविधान की व्याख्या और केंद्र-राज्य विवादों की सुनवाई करेगा। इससे सुप्रीम कोर्ट की भूमिका सीमित हो जाएगी और उसे कई मामलों में अधिकार नहीं रहेगा।
राष्ट्रपति को आजीवन छूट
बिल में यह भी प्रस्तावित है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति को जीवनभर किसी भी कानूनी कार्रवाई से छूट दी जाएगी। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है।
विपक्ष का विरोध और राजनीतिक संकट की आहट
शहबाज शरीफ सरकार के इस कदम के खिलाफ इमरान खान की पार्टी पीटीआई, पीपीपी और अन्य विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि यह संशोधन सेना के दबाव में तैयार किया गया है ताकि आसिम मुनीर को असीम शक्तियां दी जा सकें। विपक्ष ने चेतावनी दी है कि यदि बिल पारित हुआ, तो पाकिस्तान में नागरिक-सेना टकराव और गहरा राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि 27वां संवैधानिक संशोधन पाकिस्तान की सत्ता संरचना को हमेशा के लिए बदल सकता है — जहां सेना न केवल रक्षा मामलों की, बल्कि राजनीतिक और संवैधानिक ढांचे की भी सबसे बड़ी ताकत बन जाएगी।
