Tragedy on Uttar Pradesh Roads: उत्तर प्रदेश की सड़कों पर मौत का साया गहराता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि हत्या की तुलना में अब सड़क हादसों में छह से सात गुना ज्यादा लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हर दिन कहीं न कहीं वाहनों की आमने-सामने की टक्कर से सड़कें खून से लाल हो रही हैं। डिवाइडर, तेज रफ्तार और राजमार्गों पर बने कट लोगों की जिंदगी के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। बीते 24 घंटे में ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं।
सड़क हादसों की बढ़ती संख्या यह दिखाती है कि कहीं न कहीं संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक सड़कों की खराब इंजीनियरिंग और अव्यवस्थित निर्माण दुर्घटनाओं की बड़ी वजह बन रही है। सुंदरता और भव्यता के नाम पर बनाए गए चौराहे और कट आम जनता की जान के दुश्मन बनते जा रहे हैं।
हर साल यातायात सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है, लेकिन अभियान कुछ दिनों की रस्म अदायगी तक सीमित रह जाता है। नतीजतन, सड़कें हर दिन किसी न किसी की जिंदगी निगल रही हैं। सड़क सुरक्षा की योजनाएं फाइलों में दबकर रह जाती हैं और उनका असर जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता।
सरकार लगातार सड़क ढांचे को मजबूत करने और प्रदेश को एक्सप्रेसवे के नेटवर्क से जोड़ने में जुटी है। कई बड़े एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं और नई सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। इसके बावजूद विभागीय नाकामी और कुछ अधिकारियों की लापरवाही इन प्रयासों पर पानी फेर रही है।
जरूरत है कि विभाग सड़कों की गुणवत्ता, इंजीनियरिंग और सुरक्षा उपायों की सख्त निगरानी करे। अन्यथा, यूपी की सड़कों पर यूं ही मौत का खेल चलता रहेगा और हर दिन किसी न किसी परिवार की खुशियां उजड़ती रहेंगी।
