पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हालिया बढ़ते असंतोष के बीच सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कबायली नेताओं की एक जिरगा बुलाकर हालात को शांत करने की कोशिश की। जिरगा में मुनीर ने स्थानीय लोगों से बात की और उनसे भरोसा जताने की कोशिश की। उन्होंने पाकिस्तान की तरफ फैली गुस्से की पृष्ठभूमि में बाहरी असर और सीमा पार से मदद का जिक्र भी किया।
मुनीर ने बयान में कहा कि पाकिस्तान में हो रहे कुछ हमलों के लिए कथित तौर पर भारत समर्थित तत्त्व जिम्मेदार हैं। वह बार-बार अफगानिस्तान से रिश्ते सुधारने की कोशिशों की बात भी कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने यह सवाल उठा दिया कि अफगान जमीन कुछ कट्टर समूहों के लिए सुरक्षित इलाका बनी हुई है। जिरगा के बाद मुनीर ने कबायली बुज़ुर्गों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं।
इस बीच अफगान पलटवार सख्त रहा। तालिबानी नेता और अफगानिस्तान के गृह मंत्री खलीफा सिराजुद्दीन हक्कानी ने कहा है कि अफगानिस्तान की सहनशीलता की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। हक्कानी ने चेतावनी दी कि अगर किसी ने अफगान क्षेत्र के खिलाफ कार्रवाई की तो इसके विनाशकारी नतीजे होंगे। उन्होंने कहा कि अफगान लोग अपने क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम हैं और किसी भी हमले का जवाब देने को तैयार हैं।
Field Marshal Syed Asim Munir, COAS, visited Peshawar where he met tribal elders and reviewed counterterrorism efforts. He praised their support during the recent standoff with the Afghan Taliban, reaffirmed Pakistan’s desire for peace with neighbours,
— Political Analyst (@AfghanSpec) October 31, 2025
1#เขมจิราต้องรอดseries pic.twitter.com/hDqj0o44Qk
हक्कानी ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के पास लंबी दूरी की भारी मिसाइलों का विशाल भंडार नहीं हो सकता, परन्तु वे आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बातचीत और समझौते का दरवाजा अभी भी खुला है, लेकिन सीमा उल्लंघन और बाहरी दखल को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
तालिबान नेतृत्व ने कुछ देशों के नाम लिए बिना यह भी कहा कि कुछ ताकतें अपने हितों के लिए दूसरे देशों के क्षेत्र का उल्लंघन करती हैं। अफगान नेताओं ने पाकिस्तान से कहा कि उनकी आंतरिक समस्याओं को अफगानिस्तान के साथ जोड़ना गलत है और किसी बाहरी समस्या का समाधान स्थानीय ही करे।
दोनों पक्षों की सख्त बातें और आरोप-प्रत्यारोप के बीच सीमा पर हालात नाज़ुक बने हुए हैं। जिरगा का मकसद स्थानीय नेताओं का गुस्सा शांत करना था, मगर साथ ही दिए गए बयान और आरोपों ने तनाव को और बढ़ा दिया है। हाल के दिनों में सीमा पर घुसपैठ और हमलों की घटनाओं के बढ़ने का जिक्र दोनों तरफ से किया जा रहा है।
अर्थात्—मौजूदा हालात में जरूरत कड़े शब्दों से ज्यादा शांतिपूर्ण संवाद और कूटनीतिक कोशिशों की है। क्षेत्रीय स्थिरता के लिए पड़ोसी देशों के बीच भरोसे और पारदर्शिता की ज़रूरत है, ताकि सीमावर्ती नागरिकों की सुरक्षा और अमन कायम रहे। गणनात्मक तरीके से कार्रवाई करने एवं अनावश्यक ऐलान से बचने का आग्रह भी विशेषज्ञों की ओर से आता रहा है।
अंत में दोनों तरफ के नेतागण इस बात पर जोर दें कि असल मकसद स्थानीय लोगों की सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति होनी चाहिए — बहस हो सकती है, पर हिंसा और सीमान्त तनाव किसी भी देश को लाभ नहीं पहुँचाते। बातचीत के जरिए मुद्दों का समाधान ही सबसे सुरक्षित रास्ता रहेगा।
