8th Pay Commission: सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई करेंगी अध्यक्षता, 18 महीने में सौंपनी होगी रिपोर्ट

सरकार ने इस साल जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी, ताकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और भत्तों में सुधार के लिए सुझाव दिए जा सकें। इसके नियम (Terms of Reference) तय करने से पहले सरकार ने कई मंत्रालयों, राज्य सरकारों और कर्मचारियों के संगठनों से सलाह ली थी।

8th Pay Commission Led by Former SC Judge Desai; Report Expected in 18 Months
8th Pay Commission Led by Former SC Judge Desai; Report Expected in 18 Months

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने मंगलवार को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के लिए मंजूरी दे दी है। इस आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई करेंगी। यह आयोग 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।

आयोग में उनके साथ IIM बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष को पार्ट-टाइम मेंबर और पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन को मेंबर-सेक्रेटरी बनाया गया है।

सरकार ने इस साल जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी, ताकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और भत्तों में सुधार के लिए सुझाव दिए जा सकें। इसके नियम (Terms of Reference) तय करने से पहले सरकार ने कई मंत्रालयों, राज्य सरकारों और कर्मचारियों के संगठनों से सलाह ली थी।

आमतौर पर हर 10 साल में एक नया वेतन आयोग बनाया जाता है। पिछला यानी 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था। इसलिए माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं। इससे कर्मचारियों और पेंशनधारकों को सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी का फायदा मिलेगा। बकाया राशि (arrears) भी बाद में दी जा सकती है। हालांकि भत्तों में बदलाव सिफारिशें लागू होने के बाद से ही होगा।

सरकार का अनुमान है कि 2025-26 में वेतन, पेंशन और भत्तों पर लगभग 7 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो कुल राजस्व व्यय का करीब 18% है।

आयोग जब अपनी सिफारिशें तैयार करेगा, तो देश की आर्थिक स्थिति, विकास कार्यों के लिए जरूरी फंड, और राज्य सरकारों पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखेगा। इसके अलावा, सरकारी उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की सैलरी और कामकाज की स्थिति का भी अध्ययन किया जाएगा।

पिछले यानी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों से केंद्र सरकार पर हर साल करीब 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। उम्मीद है कि इस बार भी आयोग ऐसा संतुलन बनाएगा जिससे कर्मचारियों को राहत मिले और सरकार की आर्थिक स्थिति पर ज्यादा दबाव न पड़े।

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