Chhath Puja 2025: 25 अक्टूबर से शुरू हो रही छठ पूजा, जानें तिथियां और महत्व

छठ महापर्व में छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। महिलाएं और पुरुष परिवार के साथ नदी किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करते हैं।

Chhath Puja 2025
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Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में हर तिथि, वार और माह का विशेष महत्व होता है। इनमें से कार्तिक मास को व्रतों और त्योहारों का महीना माना जाता है। इसी माह में 20 अक्टूबर को पूरे देश में दिवाली धूमधाम से मनाई गई। दिवाली के बाद अब लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। छठ पूजा छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा का अनूठा त्योहार है, जिसमें प्रकृति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस पर्व में महिलाएं और पुरुष संतान के जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखते हैं।

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 से प्रारंभ होकर 28 अक्टूबर 2025 तक चलेगी। पहला दिन नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होगा, जिसमें व्रती गुड़ की खीर और रोटी का भोग ग्रहण करेंगे। तीसरे दिन 27 अक्टूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, और अंतिम दिन 28 अक्टूबर को उदयागामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न होगा।

Chhath Puja 2025
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छठ महापर्व की चार दिवसीय परंपरा

पहला दिन – नहाय-खाय (25 अक्टूबर) छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती सूर्य निकलने से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं, यानी स्नान करते हैं। इसके बाद घरों में साफ-सफाई की जाती है। फिर चना दाल, कद्दू और चावल का सात्विक प्रसाद तैयार किया जाता है। यह प्रसाद व्रती और उसके परिवार द्वारा ग्रहण किया जाता है। स्कंद पुराण में बताया गया है कि इस दिन से छठी मैया की कृपा शुरू होती है। इस दिन व्रती विशेष रूप से लौकी भात का सेवन करते हैं।

दूसरा दिन – खरना (26 अक्टूबर) छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन व्रतियों द्वारा लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर (रसियाव) और रोटी बनाई जाती है। शाम को स्नान-ध्यान करने के बाद दीपक जलाया जाता है और व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। इसके बाद ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। मान्यताओं के अनुसार, खरना के बाद से छठी मैया घर में विराजमान होती हैं। इस दिन लोग संझवत की परंपरा भी निभाते हैं।

तीसरा दिन – डूबते सूर्य को अर्घ्य (27 अक्टूबर) छठ पूजा के तीसरे दिन निर्जला उपवास रखते हुए अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यदेव को यह अर्घ्य बांस के सूप में फल, ठेकुआ और मिठाई के साथ दिया जाता है।

चौथा दिन – उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण (28 अक्टूबर) छठ पूजा के चौथे यानी आखिरी दिन व्रती नदी किनारे उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती सात या ग्यारह परिक्रमा करते हैं। इसके बाद व्रत का पारण (व्रत खोलना) होता है।

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सूर्यास्त और सूर्योदय का समय:

  • 27 अक्टूबर को सूर्यास्त (संध्या अर्घ्य) शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा।
  • 28 अक्टूबर को सूर्योदय (उषा अर्घ्य) सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा।

छठ महापर्व में छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। महिलाएं और पुरुष परिवार के साथ नदी किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करते हैं। इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 28 अक्टूबर को समाप्त होगी, जिसमें नहाय-खाय, खरना, अस्ताचलगामी और उदयागामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा का पालन किया जाएगा।

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