वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व राजदूत केविन रुड के बीच तनाव का नया मामला सामने आया है। सोमवार को व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह खटास साफ नजर आई। इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने रेयर अर्थ मिनरल्स और क्रिटिकल मिनरल्स पर एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता इलेक्ट्रिक वाहनों, जेट इंजन और रक्षा उपकरण बनाने में इस्तेमाल होने वाले खनिजों पर आधारित है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने ट्रंप से पूछा कि क्या उन्हें प्रधानमंत्री अल्बनीज़ की सरकार या राजदूत रुड के पुराने बयानों से कोई दिक्कत है। इस पर ट्रंप ने रुड की ओर इशारा करते हुए कहा, “क्या आपने कुछ गलत किया था? क्या आप अब भी सरकार में हैं?” रुड ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि वह अब सरकार में नहीं हैं और इस पद पर आने से पहले ही सेवा में थे।
इसके बाद ओवल ऑफिस में ट्रंप ने रुड से कहा, “मुझे तुम पसंद नहीं हो और शायद कभी नहीं होंगे।” मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह विवाद नया नहीं है। साल 2020 में केविन रुड ने ट्रंप को इतिहास का सबसे विनाशकारी राष्ट्रपति कहा था, जिस पर ट्रंप ने उन्हें “गंदा” और “कम समझदार” व्यक्ति करार दिया था।
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— MAGA Kitty (@SaveUSAKitty) October 20, 2025
President Trump has a few choice words for the Australian Ambassador across the conference table, who said disparaging remarks about him in the past:
“I don’t like you either. And I probably never will!” pic.twitter.com/eLmOBoeSzy
हालांकि इस खटास के बावजूद प्रधानमंत्री अल्बनीज़ ने अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करने की कोशिश की। दोनों देशों ने रेयर अर्थ और क्रिटिकल मिनरल्स पर सहयोग बढ़ाने के लिए नया समझौता किया, जिससे चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। इस मुलाकात का एक और अहम पहलू यह था कि ट्रंप प्रशासन इस समय AUKUS रक्षा समझौते की समीक्षा कर रहा है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता दोनों देशों के लिए रणनीतिक महत्व रखता है और अमेरिकी-ऑस्ट्रेलियाई संबंधों को तकनीकी और रक्षा क्षेत्रों में और मजबूत करेगा। बावजूद इसके, ट्रंप और रुड के बीच का तनाव संबंधों में एक जटिलता जोड़ता दिख रहा है, जिसे भविष्य में सुलझाने की आवश्यकता होगी।
यह घटना दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में व्यक्तिगत मतभेद भी कभी-कभी सार्वजनिक मंच पर स्पष्ट हो जाते हैं, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए देशों को सहयोग जारी रखना पड़ता है।
