नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति बी.आर. गवई पर जूता फेंकने का प्रयास कर हड़कंप मचाने वाले अधिवक्ता राकेश किशोर ने मंगलवार को अपने कृत्य पर कोई पछतावा न होने का दावा किया है। मीडिया हाउस से बात करते हुए किशोर ने कहा कि सीजेआई गवई की खजुराहो मंदिर से जुड़ी टिप्पणी ने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी, जिसके चलते उन्होंने ऐसा किया। घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरे प्रकरण की कड़ी निंदा करते हुए न्यायिक गरिमा बनाए रखने की अपील की है।
वकील राकेश किशोर ने बताया कि उनका आक्रोश मुख्य रूप से 16 सितंबर को हुई उस घटना से उपजा, जब सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की बहाली संबंधी जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। किशोर के मुताबिक, जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान कथित तौर पर कहा था, ‘जाओ और मूर्ति से कहो कि वह खुद अपना सिर जोड़ ले।’ उन्होंने दावा किया कि यह वक्तव्य सनातन धर्म का अपमान है और इसी बात ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया था।
Delhi: Supreme Court advocate Rakesh Kishore, accused of attacking CJI B.R. Gavai, says, "The Almighty made it happen, I only did what happened; I had no role in it, I don’t do such things. I was just a witness; what happened, happened. Secondly, why it happened, I will explain… pic.twitter.com/TOpK9Hywq5
— IANS (@ians_india) October 7, 2025
अपने कृत्य का बचाव करते हुए किशोर ने कहा कि उन्हें अपने कदम पर जरा भी पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वह किसी नशे में नहीं थे और यह सब दैवीय प्रेरणा से हुआ। उन्होंने कहा, “मुझे कई दिनों से नींद नहीं आ रही थी। एक दैवीय शक्ति ने मुझे जगाया और कहा कि देश जल रहा है, और तुम सो रहे हो?” वकील ने आगे कहा कि अगर भगवान चाहते हैं कि वह जेल जाएँ या उन्हें फाँसी हो, तो वह इसके लिए तैयार हैं, क्योंकि यह उनकी (भगवान की) इच्छा है।
राकेश किशोर ने सीजेआई गवई की उन टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई, जिनमें उन्होंने बुलडोजर न्याय को लेकर चिंता जताई थी। किशोर ने सवाल किया कि योगी सरकार अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी, उसमें गलत क्या था? दलित जज पर हमला करने के आरोपों पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, “वह पहले सनातनी थे, बाद में बौद्ध धर्म अपनाया। अब यह दलित राजनीति क्यों?”
घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए किशोर ने कहा कि बीसीआई ने ‘अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35’ का उल्लंघन किया है, क्योंकि अनुशासनात्मक समिति गठित किए बिना निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने मुवक्किलों की फीस लौटानी पड़ेगी, लेकिन वह माफी नहीं माँगेंगे।
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि “हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं।” उन्होंने सीजेआई गवई के शांत और संयमित रवैये की प्रशंसा की और कहा कि न्यायपालिका की गरिमा सर्वोपरि है और उसकी रक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
Spoke to Chief Justice of India, Justice BR Gavai Ji. The attack on him earlier today in the Supreme Court premises has angered every Indian. There is no place for such reprehensible acts in our society. It is utterly condemnable.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 6, 2025
I appreciated the calm displayed by Justice…
