Dussehra 2025: रावण के 10 अधूरे सपने, सोने में सुगंध और स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना चाहता था ‘लंकापति’

जिस रावण की विद्वता को स्वयं भगवान श्री राम ने भी युद्ध के मैदान में स्वीकार किया था, उसकी कई ऐसी महात्वाकांक्षाएं थीं जो वह अपने जीवनकाल में पूरी नहीं कर सका। आइए जानते हैं रावण के उन्हीं 10 अधूरे ख्वाबों के बारे में:

Dussehra 2025: Ravan's 10 Unfinished Dreams
Dussehra 2025: Ravan's 10 Unfinished Dreams

लंकापति रावण, जिसे हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण का एक प्रमुख पात्र माना जाता है, न केवल एक महान योद्धा था बल्कि एक प्रकांड पंडित और कुशल राजनीतिज्ञ भी था। दशानन कहलाने वाले रावण को चारों वेद, ज्योतिष समेत तमाम शास्त्रों का गहरा ज्ञान था। शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने वाले रावण की पहचान भगवान शिव के परम भक्त के रूप में भी होती है।

जिस रावण की विद्वता को स्वयं भगवान श्री राम ने भी युद्ध के मैदान में स्वीकार किया था, उसकी कई ऐसी महात्वाकांक्षाएं थीं जो वह अपने जीवनकाल में पूरी नहीं कर सका। आइए जानते हैं रावण के उन्हीं 10 अधूरे ख्वाबों के बारे में:

1. सोने में सुगंध लाना

सोने की लंका में रहने वाले रावण को स्वर्ण धातु से असीम प्रेम था। उसकी कामना थी कि सोने में सुगंध (खुशबू) भी आनी चाहिए, ताकि लोगों को उसके आस-पास होने का भान हो सके। लेकिन, अपने जीवनकाल में वह इस असंभव से कार्य को पूरा नहीं कर पाया।

2. स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना

रावण की इच्छा थी कि इंसान को स्वर्ग तक पहुँचने के लिए कठोर तपस्या न करनी पड़े। वह चाहता था कि इंसान बगैर किसी बाधा के आसानी से स्वर्ग पहुँच सके, जिसके लिए वह धरती से स्वर्ग तक एक सीढ़ी का निर्माण करना चाहता था, लेकिन यह कामना अधूरी रह गई।

3. समुद्र के जल को मीठा बनाना

दशानन रावण की सोने की लंका समुद्र के किनारे बसी थी। समुद्र का जल खारा होता है, इसलिए रावण की ख्वाहिश थी कि वह समुद्र के खारे जल को मीठे पानी में तब्दील कर सके, ताकि उसकी प्रजा को पानी के लिए तरसना न पड़े। यह महत्वाकांक्षी कार्य भी उसकी मृत्यु से पहले पूरा नहीं हो सका।

4. रक्त को सफेद करना

रावण ने अपने जीवन काल में कई निर्दोष लोगों का रक्त बहाया था। वह नहीं चाहता था कि उसके दोष बहते हुए लाल रंग के खून में नजर आएं। ऐसे में, वह चाहता था कि खून का रंग बदलकर सफेद हो जाए।

5. रंगभेद को दूर करना (राक्षसों को गोरा बनाना)

रावण नहीं चाहता था कि कोई रंगभेद का शिकार हो। खास तौर पर राक्षसों को लेकर उसकी कामना थी कि उनका काला या श्याम वर्ण गोरा हो सके। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण भी श्याम वर्ण का था। लोगों को गोरा बनाने की उसकी यह ख्वाहिश भी अधूरी रह गई।

6. लंका में ज्योतिर्लिंग की स्थापना

रावण भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाना चाहता था। उसने कठिन तपस्या से महादेव को राजी भी कर लिया, लेकिन भगवान ने शर्त रखी कि शिवलिंग को रास्ते में जहाँ रख दिया जाएगा, वहीं वह स्थापित हो जाएगा। माना जाता है कि भगवान विष्णु की लीला के चलते, रावण को रास्ते में शिवलिंग रखना पड़ा। आज यह स्थान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार, लंका में ज्योतिर्लिंग स्थापित करने का उसका सपना टूट गया।

7. मदिरा को गंधहीन बनाना

रावण तामसिक प्रवृत्ति का था। उसकी ख्वाहिश थी कि वह मदिरा (शराब) को गंधहीन बना सके, ताकि उसे पीने पर किसी भी प्रकार की बदबू न आए और लोग उसका आसानी से आनंद ले सकें।

8. बच्चों की सुरक्षा

रावण के सात पुत्र थे। वह चाहता था कि उसके सभी बच्चों का जीवन सुरक्षित रहे, लेकिन भगवान राम के साथ हुए भीषण युद्ध के दौरान उसके सभी बच्चों की मृत्यु हो गई, और उसकी यह इच्छा भी अधूरी रह गई।

9. कैलाश पर्वत को लंका ले जाना

भगवान शिव के परम भक्त रावण की एक बड़ी इच्छा यह थी कि वह भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत को अपनी लंका नगरी ले जाए। उसने इसे उठाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह असफल रहा और उसकी यह इच्छा भी अधूरी रह गई।

10. दुनिया का राजा बनना

रावण ने अपने जीवनकाल में कई युद्ध लड़े और कई राजाओं को परास्त किया, लेकिन वह कभी दुनिया पर पूरी तरह जीत हासिल नहीं कर पाया। दुनिया का चक्रवर्ती राजा बनने का उसका सपना अधूरा ही रह गया।

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