संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत की ओर से संबोधन किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, “भारत के लोगों की ओर से आप सभी को नमस्कार। हम आज इस अद्वितीय संस्था की स्थापना के आठ दशक पूरे होने पर एकत्रित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र का चार्टर केवल युद्ध रोकने के लिए नहीं, बल्कि शांति स्थापित करने और हर मानव की गरिमा बनाए रखने के लिए भी है।”
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक योगदान और वैश्वीकरण के दौर में इसकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सदस्य देशों की संख्या चार गुना बढ़ गई और संगठन का एजेंडा व्यापक हुआ, जिसमें विकास लक्ष्य, जलवायु परिवर्तन, व्यापार, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा शामिल हैं।
आतंकवाद पर भारत का रुख
विदेश मंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर स्पष्ट कहा, “भारत स्वतंत्रता के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है, क्योंकि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है। कई अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों की जड़ें उसी देश से जुड़ी रही हैं।” उन्होंने अप्रैल में पहलगाम में हुए निर्दोष पर्यटकों की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।
वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद एक साझा खतरा है और इसका मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा, “जब कोई देश आतंकवाद को अपनी राज्य नीति बना लेता है और आतंकवादी अड्डों का सार्वजनिक महिमामंडन होता है, तो इसकी स्पष्ट निंदा होनी चाहिए।” उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और प्रमुख आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की भी जरूरत बताई।
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों को यह समझना चाहिए कि यह खतरा अंततः उन्हीं को नुकसान पहुंचाता है।
